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सुप्रीम कोर्ट ने चिन्मयानंद को पीड़िता के बयान की कॉपी देने से किया इनकार

अशाेक यादव, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज की छात्रा के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी भाजपा के पूर्व सांसद स्वामी चिन्मयानंद को पीड़िता के बयानों की कॉपी देने से इनकार कर दिया है।

पीड़िता ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने उनके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया था। न्यायमूर्ति विनीत सरन और रवींद्र भट के साथ ही न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कानूनी की पढ़ाई कर रही की ओर से दायर अपील की अनुमति दी, जो इस मामले में शिकायतकर्ता है।

पीठ ने उल्लेख किया कि 2014 में शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार, धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान की एक प्रति जांच अधिकारी को तुरंत दी जानी चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि जब तक आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर नहीं कर दी जाती, तब तक सीआरपीसी की धारा 173 के तहत किसी भी व्यक्ति को बयान की सामग्री का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।

दरअसल चिन्मयानंद ने दुष्कर्म पीड़िता के मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयानों की कॉपी मांगी थी। इस मामले में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आवेदन किया था, हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है।

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पीड़िता पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर 2019 को हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी और इस मामले में सुनवाई चल रही थी।

पीड़िता ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि आरोप पत्र दाखिल होने से पहले उसके बयान की प्रति नहीं दी जानी चाहिए। पीड़िता ने कहा था कि इस तरह की प्रथा कानून के विपरीत होगी और महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध के सभी मामलों में दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

चिन्मयानंद को एसआईटी ने 21 सितंबर, 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 23 वर्षीय शिकायतकर्ता पर जबरन वसूली के आरोप भी दर्ज किए गए थे। चिन्मयानंद को इस साल फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दी थी।

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