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2030 तक भारत इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च करेगा 143 लाख करोड़ रुपये

सूर्योदय भारत समाचार सेवा : भारत को वृद्धि की ऊंची रफ्तार को बनाए रखने के लिए अगले दो दशक में इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निवेश को लगातार बढ़ाने की जरूरत है। केंद्रीय बजट 2025-26 के तहत, सरकार ने विकसित भारत 2047 और बुनियादी ढांचे के विकास पर अपने रणनीतिक फोकस पर फिर से जोर दिया है। इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश की के लिए देश की बड़ी प्राइवेट कंपनियां आगे आ रही है। हाल ही में, मध्य प्रदेश के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, 2025 में 30 लाख करोड़ से ज्यादा के एमओयू साइन हुए हैं और एडवांटेज असम 2.0 समिट, 2025 में राज्य को मिला 5 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव मिला है। ये निवेश हाइड्रोकार्बन, खदानों और रिन्यूएबल एनर्जी में किए जाएंगे। एनटीपीसी मध्य प्रदेश में 1.20 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी, इसके अलावा अदाणी समूह मध्य प्रदेश दो लाख 10 हजार करोड़ निवेश करेगा, जिसमें पंप स्टोरेज, सीमेंट, खनन, स्मार्ट मीटर और थर्मल एनर्जी में 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपये का भारी निवेश करेगा। इसी के निवेश के तहत समूह 1 लाख करोड़ रुपये के के जरिए एक ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, एयरपोर्ट प्रोजेक्ट और एक कोयला गैसीकरण प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार से चर्चा कर रहा है। इसके अलावा अदाणी समूह असम में 50 हजार करोड़ रुपए विश कर रहा है। ये निवेश एयरपोर्ट, सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन, पावर ट्रांसमिशन, सीमेंट और रोड प्रोजेक्ट में होगा, जिससे राज्य में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और रोजगार को काफी बढ़ावा मिलेगा।
रिलायंस समूह, असम में करेगा 50 हजार करोड़ का निवेश किया है साथ ही वेंदाता कंपनी ने असम और त्रिपुरा में 50,000 करोड़ रुपये निवेश करने का ऐलान किया है। टाटा समूह ने असम में 30 हजार करोड़ की निवेश का ऐलान किया। इसमें कृषि, एमएसएमई, इन्वेस्टमेंट एंड एक्सपोर्ट शामिल हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर किए गए खर्च की बात करें तो 2013-14 में इस मद में ₹2.29 लाख करोड़ खर्च किये गए थे। यह खर्च बढ़कर 2023-24 में ₹13.7 लाख करोड़ हो गया, यानी इस मद में 6 गुना की बढ़त हुई है। भारत वित्त वर्ष 2023-24 से 2029-30 के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 143 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने यह अनुमान जताते हुए कहा कि यह राशि वित्त वर्षों 2017 से 2023 में खर्च किए गए 67 लाख करोड़ रुपये की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। इसके अलावा विश्व बैंक ने कहा है कि भारत अगले दो वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.7% पर स्थिर रखा गया है। विश्व बैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2025 और 2026 में 2.7% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है, जो 2024 के समान रहेगा। विश्व बैंक की रिपोर्ट में इसका भी जिक्र है कि भारत की विकास दर 2023-24 के 8.2% से घटकर 2024-25 में 6.5% होने का अनुमान है।
एक दशक में वैश्विक स्तर पर दिखी भारत की ताकत
भारत की रैंकिंग ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2024 में सुधरकर 39वीं हो गई है। 2015 में भारत की रैंकिंग 81वीं थी, लेकिन अब यह एक महत्वपूर्ण छलांग दिखाती है। केंद्र सरकार द्वारा स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने के कारण देश की इनोवेशन क्षमता में भारी वृद्धि हुई है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) 2024 में पहली बार 700 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया था। इसके परिणामस्वरूप भारत वैश्विक स्तर पर फॉरेक्स रिजर्व में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथे स्थान पर पहुंच गया है। भारत की रैंकिंग 2024 में वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 39वीं हो गई है, जो 2014 में 71वीं थी। भारत की जीडीपी रैंकिंग में भी महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। 2014 में भारत 10वें स्थान पर था, जबकि अब यह 5वें स्थान पर है। अनुमान के मुताबिक, अगले तीन से चार सालों में में भारत जर्मनी और जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

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