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हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने से बिहार में शिक्षकों की स्थानांतरण नीति सवाल के घेरे में : चित्तरंजन गगन

अनुपूरक न्यूज एजेंसी, पटना। राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि राज्य सरकार को शिक्षा और शिक्षक से भारी नफरत और घृणा है। यही वजह है कि चाहे वह शिक्षक बहाली का मामला हो, उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देने का मामला हो या उनके स्थानांतरण और पदस्थापन का मामला हो, सरकार उसे फंसाये और लटकाए रखने की मंशा से हीं नियमावली बनाती है। जबसे बिहार में एनडीए सरकार बनी तबसे यही होता आ रहा है। यदि तेजस्वी यादव को सत्रह महिने उपमुख्यमंत्री रहने का मौका नहीं मिला रहता तो अबतक शिक्षक बहाली को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी आन्दोलन हीं करते रहते। हालांकि उस समय भी बहाली में बाधा उत्पन्न करने के लिए हीं मुख्यमंत्री के स्तर से डोमिसाइल हटाने का निर्णय लिया गया। बीपीएससी के चेयरमैन और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव तत्कालीन शिक्षा मंत्री के निर्देशों को नजरंदाज करते हुए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री सचिवालय से निर्देशित होते रहे और बहाली को फंसाने का प्रयास होता रहा पर तेजस्वी जी के दृढ़ संकल्प ने शिक्षकों की बहाली करने के लिए मुख्यमंत्री जी को मजबूर कर दिया। अब सरकार के सामने बाध्यता है कि बचे हुए पदों पर भी जल्द से जल्द शिक्षकों की बहाली करें। पिछले बहाली में जो अनियमितता की शिकायत आ रही है एसआईटी के द्वारा उसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वर्ष-2003 एवं 2005 में बड़ी संख्या में प्राथमिक विद्यालय खोले जाने और प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालय में उत्क्रमित किए जाने से विधालयों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए तत्कालीन राबड़ी देवी जी की सरकार ने बड़ी संख्या में शिक्षा मित्रों की बहाली की और सरकार की मंशा थी कि बाद में नियोजित शब्द हटाकर सभी नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बना दिया जाएगा जिसे तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री बनने के बाद अपने कार्यकाल में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने का काम किया। उनकी इच्छा थी के राज्यकर्मी बनने के बाद उन्हें ऐच्छिक स्थानांतरण दिया जाएगा लेकिन राजद की सरकार को सत्ता से हटते ही एनडीए सरकार ने नियोजित शिक्षकों के साथ भेदभाव करना प्रारंभ कर दिया। तेजस्वी यादव चाहते थे के नियोजित शिक्षकों को बगैर शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दे दिया जाए क्योंकि नियोजित शिक्षक दक्षता/टीईटी परिक्षा पास थे लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री इस बात को लेकर अडिग थे कि उन्हें सक्षमता परीक्षा देना ही होगा। शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार किया बहिष्कार करने वाले शिक्षकों पर वर्तमान सरकार ने लाठी डंडे से बरबरता पूर्ण प्रहार किया और कई तरह के उन पर केस लादकर उन्हें प्रताड़ित किया। तेजस्वी यादव जी ने उस समय भी इस तरह के कारवाई पर विधानसभा में अपनी बात सदन के पटल पर रखा। राजद हमेशा नियोजित शिक्षकों के हितों के लिए सजग रहा है और रहेगा। वर्तमान सरकार ने नियोजित शिक्षकों के समक्ष स्थानांतरण नीति लाकर एकबार फिर नियोजित शिक्षकों को प्रताड़ित करने का काम कर रही है। पुरूष शिक्षकों को 10 अनुमंडलों का विकल्प दिया है जो अव्यवहारिक और अमानवीय है। नियोजित शिक्षक लगभग 20 वर्षों से कार्यरत हैं अब उनमें से अधिकांश शिक्षकों की सेवा 08-10 बची है उनके माँ बाप बुढ़े हो चुके हैं जिन्हें सहारा की अवश्यकता है।, 10 अनुमंडलों के विकल्प से बुढ़े माँ बाप का सहारा छिना जा रहा है जो निंदनीय है। राजद की यह मांग है कि पुरूष शिक्षकों को अपने गृह पंचायत को छोड़कर अगल बगल के पंचायत और महिला शिक्षकों को अपने गृह पंचायत के विधालयों में पदस्थापित किया जाए ताकि महिला शिक्षक अपने नैहर या ससुराल में शिक्षण कार्य कर सकें और अपने बच्चों का भरण पोषण कर सके।

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