सूर्योदय भारत समाचार सेवा : 2011 की जनगणना के अनुसार, राजस्थान की साक्षरता दर 66.1% थी, जो राष्ट्रीय औसत 74% से कम है। राजस्थान में एजुकेशन सिस्टम में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। अगर बात जैसलमेर जिले की करें तो वहां साक्षरता दर और भी कम करीब 46.07% थी।
जैसलमेर के सरकारी स्कूलों को शिक्षा की गुणवत्ता, कम नामांकन और हाई ड्रॉपआउट रेट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकारी स्कूल में इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रेंड टीचर और जरुरी संसाधनों का अभाव होता है। लेकिन, पिछले कुछ सालों में जैसलमेर में अदाणी फाउंडेशन स्कूल की स्थिती सुधारने की पहल शुरु कर दी है जिसके तहत क्लास का निर्माण, डबल डेस्क, कारपेट, प्लेइंग किट और स्कूल बैग जैसी आवश्यक सामान उपल्बध कराए गए हैं। साल 2023-24 में, फाउंडेशन ने स्कूलों में साफ पीने का पानी और स्वच्छता सुविधाओं की व्यवस्था की है। क्लास की मरम्मत और फर्नीचर की आपूर्ति कराई गई है। इन कोशिशों का उद्देश्य है स्कूल में बेहतर वातावरण बनाना और लड़कियों समेत ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
राजस्थान सरकार ने दूरदराज के गांवों के वंचित छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल की शुरुआत की। ऐसा ही एक स्कूल भणियाणा गांव में है। हालाँकि, कम ट्रांसपोर्ट सुविधाओं के कारण आस-पास के गाँवों के छात्रों को स्कूल जाने में काफी परेशानी होती है। जिससे यहां ड्रॉपआउट रेट भी काफी बढ़ने लगा। अदाणी फाउंडेशन ने इस समस्या को समझते हुए भणियाणा गांव को 32 सीटर स्कूल बस दान में दी। वर्तमान में, इस बस से 18 लड़कियों सहित 32 से अधिक छात्रों को फायदा हो रहा है। छात्र और उनके अभिभावक इस पहल की सराहना करते हैं और यात्रा के दौरान सुरक्षित महसूस करते हैं। स्कूल मैनेजमेंट बस ऑपरेशंस का कुशल प्रबंधन करता है।
कुछ ऐसे ही अभाव में अदाणी सोलर साइट के पास रेवारी ग्राम पंचायत में तमाची राम की ढाणी का स्कूल इन्फ्रास्ट्रक्चर भी था।इस स्कूल की छतें टपक रही थीं और पीने के लिए साफ पानी भी उपलब्ध नहीं था। अदाणी फाउंडेशन ने स्कूल बिल्डिंग की मरम्मत करके छत के रिसाव को ठीक किया और नल के कनेक्शन के साथ स्वच्छता सुविधाओं को स्कूल में स्थापित किया। फाउंडेशन ने स्कूल गेट बनाया और स्कूल भवन का भी सौंदर्यीकरण किया। इन सुधारों से सीधे स्कूल के छात्रों को लाभ हुआ।
जैसलमेर के निधान और मदासर गांव के सरकारी स्कूलों में शौचालय खस्ताहाल थे। इस कारण कई लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ा और साथ ही निधान के स्कूल के 255 छात्रों के पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं था। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए, फाउंडेशन ने नल के पानी की सुविधा के साथ लड़कियों के लिए नए शौचालयों का निर्माण कराया। फाउंडेशन ने छात्रों के लिए पीने के पानी के लिए आरओ और वाटर कूलर भी लगवाए हैं। पीने के लिए पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ओवरहेड टैंक स्थापित किए गए। हैंडपंप के साथ एक 1 एचपी मोटर पंप स्थापित किया गया है। मोटर पंप के माध्यम से बोरवेल से वाटर टैंक को पानी से भरने के लिए सिस्टम स्थापित किया गया है। छात्रों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए हैंडवाश स्टेशन भी बनाए गए।
पश्चिमी राजस्थान में गर्मियों के दौरान तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है, जिससे स्कूली बच्चों की सेहत पर असर पड़ता है और कुछ छात्र तो ज्यादा गर्मी के कारण बेहोश भी हो जाते हैं। फाउंडेशन ने पोखरण तहसील के केरलिया और सतासर गांवों में टिन शेड स्थापित किए। केरलिया गांव में, 30 फीट X 70 फीट का एक बड़ा टिन शेड स्थापित किया गया, जिससे 155 से अधिक छात्रों को लाभ हुआ। इसी तरह, सतासर गांव में, 20 फीट X 40 फीट का टिन शेड बनाया गया, जिससे नामांकित 34 छात्रों को राहत मिली। ये टिन शेड चिलचिलाती धूप से सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिससे स्कूल की गतिविधियों के दौरान छात्रों के लिए एक सुरक्षित और अधिक आरामदायक वातावरण बनता है।