सूर्योदय भारत समाचार सेवा, वेल्लोर (तमिलनाडु) : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में की गई हत्या के लिए नलिनी के अलावा श्रीहरन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और आरपी रविचंद्रन जेल में बंद थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने ‘संतोषजनक व्यवहार’ किया, डिग्री हासिल की, किताबें लिखीं और समाज सेवा में भी भाग लिया.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के छह दोषियों को 31 साल की जेल की सजा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कल रिहा करने का आदेश दिया था. एक दिन बाद तीन आरोपियों, नलिनी श्रीहरन, उसके पति मुरुगन और संथन को शनिवार शाम को वेल्लोर जेल से औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया. नलिनी ने पैरोल शर्तों के मुताबिक सुबह में एक स्थानीय पुलिस थाने में अपनी हाजिरी भी लगाई.
सुप्रीम कोर्ट ने मई में सातवें दोषी पेरारिवलन को रिहा करने के लिए अपनी अधिकारों का इस्तेमाल किया था. अदालत ने कहा कि बाकी दोषियों पर भी यही आदेश लागू होता है.
अदालत ने यह भी कहा कि तमिलनाडु कैबिनेट ने 2018 में राज्यपाल से दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी और राज्यपाल इसके लिए बाध्य थे.
कांग्रेस ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कड़ा विरोध किया है.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में की गई हत्या के लिए नलिनी के अलावा श्रीहरन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और आरपी रविचंद्रन जेल में बंद थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने ‘संतोषजनक व्यवहार’ किया, डिग्री हासिल की, किताबें लिखीं और समाज सेवा में भी भाग लिया.
नलिनी श्रीहरन के भाई बकियानाथन ने कहा कि दोषी पहले ही तीन दशक जेल में काट चुके हैं और काफी कुछ झेल चुके हैं. बकियानाथन ने कहा, “उन्हें मानवीय आधार पर रिहा किया गया है, जो लोग उनकी रिहाई का विरोध करते हैं, उन्हें भारत के कानूनों का सम्मान करना चाहिए.”