अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को साफ किया है कि प्रदेश में राशन कार्ड सरेंडर करने अथवा उनके निरस्तीकरण के सम्बन्ध में कोई नया आदेश जारी नहीं किया गया है यह बस एक मात्र अफवाह है। मीडिया पर इस संबंध में प्रसारित भ्रामक व तथ्यों से परे खबरों का खण्डन करते हुए राज्य के खाद्य आयुक्त सौरव बाबू ने कहा कि राशनकार्ड सत्यापन एक सामान्य प्रक्रिया है जो समय समय पर चलती है।
हालांकि सरकार को यह स्पष्ट करने में 24 घंटे से ज्यादा समय लग गए। पिछले 2-3 दिनों में तमाम लोगों ने राशन कार्ड सरेंडर कर दिए हैं। शनिवार को भाजपा सांसद वरुण गांधी ने ही अपनी ही सरकार से पूछा था कि चुनाव से पहले पात्र और चुनाव के बाद अपात्र? वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह, आप नेता संजय सिंह ने भी सरकार को घेरा था। अब सरकार ने इन सभी की पोस्ट को फेक करार दिया है।
इसी प्रकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 तथा प्रचलित शासनादेशों में अपात्र कार्डधारकों से वसूली जैसी कोई व्यवस्था भी निर्धारित नहीं की गयी है और रिकवरी के सम्बन्ध में शासन स्तर से अथवा खाद्यायुक्त कार्यालय से कोई भी निर्देश निर्गत नहीं किए गए है। उल्लेखनीय है कि विभाग सदैव पात्र कार्डधारकों को नियमानुसार उनकी पात्रता के अनुरूप नवीन राशनकार्ड निर्गमित करता है तथा एक अप्रैल, 2020 से अब तक प्रदेश में कुल 29.53 लाख नवीन राशनकार्ड विभाग द्वारा पात्र लाभार्थियों को जारी किए गए है।
पात्र गृहस्थी राशन कार्ड धारकों को अभी तक प्रत्येक सदस्य के हिसाब से 5 किलो प्रति सदस्य चावल और गेहूं दिया जा रहा है। साथ ही समय-समय पर तेल, नमक, चना, चीनी, दाल आदि भी दी जा रही है। जबकि अंत्योदय राशन कार्ड में एक राशन कार्ड पर 35 किलो राशन दिया जाता है। इसमें परिवार के सदस्यों पर निर्भर नहीं होता है, सभी को 35 किलो राशन मिलता है।