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शाहीनबाग 92वां दिन: ‘कोरोना की आड़ में दंगों की सच्चाई छिपा रही सरकार’

लखनऊ। शाहीनबाग में सीएए के विरोध में धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि सरकार कोरोना वायरस के पीछे दंगों की सच्चाई छिपा रही है। पुलिस ने दंगे के आरोप में सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया है।

कोरोना वायरस का डर फैलाकर पुलिस अवैध हिरासत को छिपा रही है। सरकार बताए कि पकड़े गए लोग कहां हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह कोरोना वायरस से बचने के लिए खुद ही बंदोबस्त कर लेंगे। धरने पर मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि गृहमंत्री ने बयान दिया है कि एनपीआर में डाउट का कोई डी नहीं लगेगा। मगर हमें यकीन है कि अगर प्रदर्शन के दबाव में यह अभी लागू नहीं होता तो बाद में सरकार इसे लागू कर देगी, इसलिए हम यह चाहते हैं कि सरकार संसद में इसे लागू न करने का प्रस्ताव पारित करे।

लोगों ने कहा कि वर्ष 1955 में देश में एनपीआर आया था। फिर 2003 में उसमें संशोधन किया गया। हम यह चाहते हैं कि यह संशोधन रद्द किया जाए। यह केवल किसी एक धर्म के लिए नहीं है। यह सभी अल्पसंख्यक लोगों के लिए है। इससे देश के सभी अल्पसंख्यक डरे हुए हैं।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि दंगों की जांच में एक धर्म विशेष के लोगों को तंग किया जा रहा है। कुछ बेकसूर लोगों को पकड़कर पुलिस उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर रही है।

पुलिस की जांच केवल कुछ लोगों के ईद-गिर्द ही घूम रही है। पुलिस को चाहिए की मामले में बिना किसी का पक्ष लिए जांच करे और आरोपियों को बेनकाब करे।

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