नई दिल्ली। गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय में ‘कुछ गोडसे भक्तों’ ने उनके खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज कराई हैं। उन्होंने असम पुलिस द्वारा गिरफ्तारी को गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले खुद को बर्बाद किये जाने की पूर्व नियोजित साजिश करार दिया। शनिवार को रिहा किए गए मेवानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘56 इंच के सीने’ वाले बयान को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी ‘56 इंच का कायरतापूर्ण’ कृत्य है जिसने गुजरात के गौरव को अपमानित किया है।
मेवानी ने संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि वह सड़कों पर उतरेंगे और एक जून को कई मुद्दों पर ‘गुजरात बंद’ कराएंगे। इन मुद्दों में 22 परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग, मुंद्रा बंदरगाह से ‘1.75 लाख करोड़’ रुपये के नशीले पदार्थों की बरामदगी के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग के साथ ही ऊना में दलितों तथा राज्य में अल्पसंख्यकों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाएगा।
मेवानी ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘पीएमओ में बैठे कुछ गोडसे-भक्तों ने महज मेरे ट्वीट के लिए मेरे खिलाफ गंभीर प्राथमिकियां दर्ज कराई हैं।’’ कांग्रेस को समर्थन देने वाले वडगाम से निर्दलीय विधायक मेवानी को असम पुलिस 19 अप्रैल को गुजरात से पकड़ कर पूर्वोत्तर राज्य ले गई थी। यह कार्रवाई मेवानी के उस ट्वीट के बाद की गई थी जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि मोदी “गोडसे को भगवान मानते हैं।”
इस मामले में जमानत पर रिहा किये जाने के बाद दलित नेता को एक महिला पुलिसकर्मी पर हमले के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। बारपेटा की एक अदालत ने उन्हें मामले में जमानत दे दी और गुवाहाटी उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह असम पुलिस को ‘मौजूदा मामले की तरह झूठी प्राथमिकी दर्ज करने से रोकने के लिए खुद को सुधारने का निर्देश दे…’। उन्होंने कहा, “असम पुलिस द्वारा मेरी गिरफ्तारी पूर्व नियोजित साजिश थी। यह एक विधायक के लिए प्रोटोकॉल और नियमों की घोर अवहेलना थी।”
उन्होंने कहा, “यह मेरा आरोप है कि यह प्रधानमंत्री कार्यालय की पूर्व नियोजित साजिश है। गुजरात में जल्द चुनाव होने वाले हैं और यह मुझे बर्बाद करने के लिए किया जा रहा है। मुझे डर है कि अब तक उन्होंने मेरे जब्त किए हुए कंप्यूटर में कुछ लगा दिया होगा।” मेवानी ने कहा कि उन्होंने केवल ट्वीट कर प्रधानमंत्री से गुजरात में शांति और सद्भाव का आह्वान करने के लिए कहा था, जिस राज्य को वह “महात्मा (गांधी) का मंदिर” मानते हैं। उन्होंने कहा, “क्या इसका मतलब यह है कि आप शांति और सद्भाव की अपील नहीं करना चाहते… मैं इन ‘भक्तों’ और भाजपा नेताओं को चुनौती देता हूं कि अगर वे गोडसे-भक्त नहीं हैं तो लाल किले से गोडसे मुर्दाबाद कहें।”
मेवानी ने यह भी पूछा कि भाजपा या प्रधानमंत्री की इसमें क्या दिलचस्पी हो सकती है कि उन्हें केवल एक ट्वीट पर गिरफ्तार किया जाए, जैसे कि वह एक आतंकवादी हैं। उन्होंने कहा, “ऐसी चीजें हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि महिला पुलिस अधिकारी पर उनके खिलाफ शिकायत करने के लिए “दबाव” डाला गया था, लेकिन वह “सदाशयता” वश उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे।
मेवानी ने कहा कि उन्हें परेशान करने का प्रयास नाकाम रहा। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के इस दावे पर कि उन्हें गिरफ्तारी की जानकारी नहीं थी, उन्होंने कहा, “यह असंभव है कि असम के मुख्यमंत्री को मेरी गिरफ्तारी के बारे में पता भी नहीं है। उन्होंने अपने राजनीतिक आकाओं के कहने पर मेरे खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करवाए।” मेवाणी के मुताबिक यह शर्मनाक है कि न्यायपालिका ने कहा कि असम पुलिस राज्य बनता जा रहा है।
आगामी कदम के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने खिलाफ दर्ज सभी मामलों को चुनौती देंगे। उन्होंने अपनी मांगों की सूची रखते हुए कहा, “…जिस तरह से पाटीदार समुदाय के खिलाफ उनके आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मामले वापस लिए गए थे, उसी तरह ऊना में दलितों और मेरे वडगाम विधानसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिया जाना चाहिए।” मेवानी ने कहा, “प्रश्नपत्र लीक मामलों की पड़ताल विशेष जांच दल द्वारा कराई जाए तथा मुंद्रा बंदरगाह से 1.75 लाख करोड़ रुपये मूल्य का मादक द्रव्य मिलने के मामले में गौतम अदानी की जांच की जाए।”
गुजरात के विधायक ने कहा कि गुजरात में 22 प्रश्नपत्र लीक हुए हैं, मुंद्रा बंदरगाह में 1.75 लाख करोड़ रुपये के मादक द्रव्य मिले हैं और एक दलित महिला ने एक मौजूदा मंत्री के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाया है, जिस पर गुजरात विधानसभा में चर्चा हुई थी। इन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
मेवानी ने कहा, इसके अलावा, एक धर्म संसद के आयोजकों पर एक विशेष समुदाय के खिलाफ नरसंहार के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन एक ट्वीट पर उनके खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गईं तथा एक महिला का इस्तेमाल एक और मामला दर्ज करने के लिए किया गया। उन्होंने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए पूछा, “यह क्या दिखाता है? मोदी सरकार की मंशा और प्राथमिकता क्या है?”