अशाेेेक यादव, लखनऊ। नेपाल की संसद ने 13 जून, शनिवार को देश के राजनीतिक नक्शे को संशोधित करने से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयक को पास कर दिया। इसके साथ ही भारत से चल रहे सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच उसने बातचीत की उम्मीद को लगभग खत्म कर दिया है।
अब देखना होगा कि भारत का अगला कदम क्या होता है। गौरतलब है कि नेपाल के इस नए नक्शे में भारतीय सीमा से लगे लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे रणनीतिक क्षेत्र पर दावा किया गया है।
निचले सदन से पारित होने के बाद अब विधेयक को नेशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहां उसे एक बार फिर इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा।
संसद ने नौ जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी जिससे नए नक्शे को मंजूर किए जाने का रास्ता साफ हुआ। सरकार ने बुधवार (10 जून) को विशेषज्ञों की एक नौ सदस्यीय समिति बनाई थी जो इलाके से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और साक्ष्यों को जुटाएगी।
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया।
नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है।
इस मामले में भारत ने अब तक सधा रुख दिखाया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार (11 जून) को कहा, “हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। भारत नेपाल के साथ अपने सभ्यता, सांस्कृतिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों को बहुत महत्व देता है।
द्विपक्षीय साझेदारी के तहत भारत ने हाल के वर्षों में नेपाल में मानवीय पहलुओं, विकास और कनेक्टिविटी पर फोकस किया है। भारत ने विभिन्न परियोजनाओं में अपनी सहायता और सहयोग का विस्तार किया है।”