
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, मुम्बई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले में पुरुष बैंक कर्मचारी के खिलाफ आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की रिपोर्ट और पुणे औद्योगिक न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें निष्कर्ष अस्पष्ट और निराधार बताया गया। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने ने कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसने अधिवक्ता सना रईस खान के माध्यम से ICC की 30 सितंबर, 2022 की रिपोर्ट को चुनौती दी थी। समिति ने उसे कार्यस्थल पर कदाचार का दोषी पाया था, जिसे जुलाई 2024 में औद्योगिक न्यायालय ने बरकरार रखा था। मुख्य आरोपों में था कि कर्मचारी ने एक मीटिंग के दौरान एक महिला सहकर्मी के लंबे बालों का मज़ाक उड़ाया, पूछा कि क्या उसे बांधने के लिए जेसीबी की ज़रूरत है और ‘ये रेशमी जुल्फ़ें’ की एक लाइन गाई। अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता ने शुरू में इसे यौन उत्पीड़न नहीं माना था। ICC ने एक दूसरी घटना का भी हवाला दिया, जिसमें कर्मचारी ने कथित तौर पर महिलाओं की मौजूदगी में एक पुरुष सहकर्मी के निजी अंग के बारे में टिप्पणी की थी। उन्होंने तर्क दिया कि यह एक मज़ाक था और अदालत ने कहा कि पुरुष सहकर्मी ने बुरा नहीं माना।