
मनोज श्रीवास्तव, लखनऊ / अयोध्या : श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान भगवान रामलला की विग्रह जाड़ा-गर्मी-बरसात में शीत, धूप और वर्षा से प्रभावित होती थी तब कहा जाता था कि “राम लला टाट में बाकी सब ठाट में” यह बात हिन्दू समाज के साथ-साथ जिम्मेदारों को भी चुभती थी। लेकिन अब अयोध्या जी मे ट्रिपल इंजन की सरकार के रहते भगवान के विग्रह का एक हाथ न जाने कब से टूटा है, लेकिन उसका पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं है।
यह प्रतिमा राम मंदिर आंदोलन के संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाने वाले न्यायालय में राम मंदिर के पक्षकार, दिगंबर अखाड़े के महंत रहे ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की समाधि है। उनके समाधिस्थल के निकट सरयू तट पर भगवान की खंडित यह प्रतिमा लगी है। इस खंडित जिसका बायां हाथ खंडित है, के संदर्भ में मैंने जब अयोध्या विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से पूछा कि इस प्रतिमा के रख-रखाव की जिम्मेदारी किसकी है ? तो पता चला कि उनकी नहीं है, किसकी है उन्हें नहीं पता है।
जब जिलाधिकारी अयोध्या के यहां से इस संदर्भ में बात की गयी तो पता चला कि यह पर्यटन विभाग द्वारा लगायी गयी है। इसका रख-रखाव वही लोग करते हैं। जिलाधिकारी आवास से क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी का जो मो. नम्बर 8004377220 दिया गया, पर्यटन अधिकारी न तो मोबाइल पिक कर था, न ही मैसेज का जवाब दे रहा था। अपर मुख्य सचिव मुकेश मेश्राम भी मोबाइल उठाने की जहमत नहीं समझे। बता दें कि अयोध्या का ऐतिहासिक दीपोत्सव हो या कुम्भ पर्यटन विभाग को भारी-भरकम बजट आवंटित होता है। और जब उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने भी न मोबाइल पिक किया और न ही मैसेज का उत्तर दिया। जब इस विषय पर अयोध्या के मंडलायुक्त गौरव दयाल से बात हुई तो उन्होंने विषय का संज्ञान लिया, लेकिन इसके वास्तविक जिम्मेदार बताये जा रहे पर्यटन विभाग में सब के सब सुन्न साधे रहे।