विशेष : जनवरी 2021 में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने इस्तीफ़ा दिया था. उसके बाद से बाइडन प्रशासन ने छह लोगों को अंतरिम प्रभार सौंपा लेकिन किसी को स्थायी राजदूत नियुक्त नहीं किया. छठे प्रभार की घोषणा पिछले साल अक्टूबर में हुई थी.
700 दिन से ज़्यादा हो गए हैं और अमेरिका का नई दिल्ली दूतावास बिना राजदूत के चल रहा है. दोनों देशों के राजनयिक इतिहास में यह सबसे लंबा समय है. शीत युद्ध के दौरान भी ऐसा नहीं था. कई लोगों का कहना है कि दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के ऐड हॉक पर चलने का एक संदेश यह भी जा रहा है कि वह भारत की उपेक्षा कर रहा है.
हालांकि इसमें पूरी तरह से राष्ट्रपति बाइडन की भी ग़लती नहीं है. बाइडन ने लॉस ऐंजिलिस के मेयर एरिक गार्सेटी को जुलाई 2021 में भारत में राजदूत के लिए नामांकित किया गया था.
लेकिन गार्सेटी को मंज़ूरी देने के लिए होने वाली वोटिंग लटक गई थी. एक रिपब्लिकन सीनेटर ने आरोप लगाया था कि गार्सेटी की भूमिका उनके सहयोगी के यौन दुर्व्यवहार में ठीक नहीं थी. उसके बाद से गार्सेटी की नियुक्ति अटकी हुई है.
इसके अलावा और भी कई कारण हैं, जिनकी वजह के गार्सेटी की मंज़ूरी अटकी हुई है. खंडित जनादेश वाली सीनेट में कई काम लंबित हैं. किसी भी प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन रही है. यह बात भी कही जा रही है कि अमेरिका का अभी पूरा फोकस यूक्रेन में रूस पर हमले को लेकर है.
गार्सेटी को बाइडन प्रशासन सीनेट से मंज़ूरी दिला सकता है. दिसंबर में व्हाइट हाउस की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कुछ ऐसी ही बात कही गई थी. इस साल जनवरी में गार्सेटी को बाइडन प्रशासन ने फिर से भारत में राजदूत के लिए नामांकित किया है.
क़रीब दो सालों से नई दिल्ली में अमेरिका का राजदूत नहीं है. जिन समस्याओं का समाधान दूतावास के स्तर पर हो सकता था, उन्हें विदेश मंत्रियों को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में उठाना पड़ा.