ब्रेकिंग:

दूध कलेक्शन केंद्र और पशुपालन के जरिए अदाणी फाउंडेशन की अनोखी पहल

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ / बारां / बारगढ़ : अदाणी फाउंडेशन ने सस्टेनेबल लाइवलीहुड के लिए ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग, साधन और तकनीकी सहायता मुहैया कराकर उनके आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की पहल की है। महिलाओं को फायदेमंद आजीविका उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है। राजस्थान के बारां जिले में अमापुरा गांव है जहां 100 परिवार रहते हैं जो पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है और पूरा गांव खेती के लिए बारिश पर ही निर्भर है लेकिन खेती से किसी को कोई फायदा नहीं हो रहा है। आखिरकार इसका एक समाधान निकाला गया और एक संगठन बनाया जिसका नाम रखा गया हाड़ौती प्रगतिशील प्रोड्यूसर कंपनी। इसमें दूध का काम शुरु किया गया और यहां के परिवारों को इससे काफी फायदा होना भी शुरु हो गया। इस व्यापार से यहां दूध के उत्पादन में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, अदाणी के सहयोग से एक एपीओ भी बनाया गया है जिससे करीब 500 महिलाएं जुड़ी हुई है। इस पूरे व्यापार से जुड़ी महिलाओं का पैसा सीधे उनके खाते में जाता है। सबसे खास बात ये है कि आने वाले समय इस व्यापार को अमूल के साथ जोड़ दिया जाएगा।
अमापुर गांव से सीख लेते हुए बारां जिले के अटरू तहसील के खेरली गांव में लोगों ने इस पहल को अपनाया। गांव की शाहनाज बानो अदाणी फाउंडेशन द्वारा स्थापित आजीविका संवर्धन शिविरों का हिस्सा बनीं। यहीं पर उन्हें उन तरीकों के बारे में जानकारी मिली, जिनके जरिए फाउंडेशन डेयरी बिजनेस में महिलाओं को सशक्त बनाने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि गांव में कोई दूध संग्रह केंद्र नहीं था। यहाँ तक कि लोगों को यह भी नहीं पता था कि वह अपने मवेशियों द्वारा अतिरिक्त दूध उत्पादन का क्या करें, जिसके कारण लोग पशुपालन को एक फायदेमंद व्यवसाय के रूप में नहीं देख रहे थे। अगस्त 2022 में, शाहनाज और उनकी टीम ने अपने गांव में एक दूध संग्रह केंद्र शुरू किया और धीरे-धीरे अधिक से अधिक महिलाएं इस बिजनेस का हिस्सा बन गईं और ये नई ऊंचाइयों को छूने लगा। शाहनाज बानो ने बताया, ”मैं गर्व से कह सकती हूं कि मेरे गांव से हर रोज 200 लीटर दूध इकट्ठा हो रहा है, जिससे हर महीने 2.5 लाख रुपये की कमाई हो रही है। इसी साल में 40 से अधिक नये पशु ग्रामीणों ने खरीदे। मैं खुद इस बात का उदाहरण हूं कि कैसे एक महिला के रूप में मैंने न सिर्फ अपना जीवन बदला है, बल्कि कई महिलाओं का जीवन भी बदला है”।

सुपोषण प्रोजेक्ट के डेयरी बिजनेस ने तिरोड़ा में बदली रेवती ताई की जिन्दगी

अदाणी फाउंडेशन 2010 से तिरोड़ा में समुदायों के सस्टेनेबल डेवलपमेंट की दिशा में काम कर रहा है। क्षेत्र की जरूरतों की पहचान करके, फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सस्टेनेबल लाइवलीहुड और कम्युनिटी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर काम शुरु किया। प्रोग्राम के तहत, टीएफपीसीएल (तिरोरा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड) द्वारा अनुराधा डेयरी विकास प्रोजेक्ट ने डेयरी बिजनेस के लिए पेशेवर प्लान पर काम किया, 1,950 से ज्यादा किसान अनुराधा डेयरी से जुड़े हुए हैं। 30 किलोलीटर दूध चिलिंग प्लांट और 90 डीएसके के काम से 450 से 500 एसएचजी(SHG), युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार पैदा हुए और 3 हजार डेयरी किसानों को फायदा हुआ। जैविक आधार पर बहुफसली कार्यक्रम से किसानों के लिए वैकल्पिक आय स्रोत उत्पन्न हुआ। 2016 में रेवती ताई सुपोषण संगिनी प्रोजेक्ट में शामिल हुईं और उन्हें पांच साल तक हर महीने 5 से 6 हजार रुपए की आमदनी हुई। इस दौरान उनका आत्मविश्वास बढ़ा, जिससे वह समुदाय के भीतर एक मिसाल बन गईं।
2020 में, अदाणी फाउंडेशन ने किसानों को डेयरी बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और एक डेयरी विकास कार्यक्रम शुरू किया। फाउंडेशन के तहत टीएफपीसी (तिरोरा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी) ने तीन थोक दूध संग्रह केंद्र स्थापित किए। रेवती ताई की क्षमताओं को पहचानते हुए उन्हें चिखली में बीएमसी का प्रबंधन के लिए चुना गया और रेवती ताई ने इसे एक अवसर तौर पर लिया। 20 किसानों से 60 से 65 लीटर रोजाना दूध संग्रह से शुरू होकर, चिखली बीएमसी अब 203 किसानों से हर दिन 25 हजार लीटर से ज्यादा एकत्र करती है। रेवती ताई ने कहा हैं कि “इस कमाई से 8 हजार रुपए वो अपनी बड़ी बेटी की शिक्षा के लिए बचत करतीं हैं, जो इस समय 12वीं कक्षा में है साथ वो अपने घर के निर्माण में भी योगदान दे रहीं हैं।“ वह सभी केंद्रों की मशीनों की मरम्मत समेत सभी तकनीकी पहलुओं को संभालती हैं। रेवती ताई सबके लिए एक आदर्श और प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
डेयरी फार्मिंग शुरू करके पाला साहा ने अपने खुद को सशक्त

ओडिशा के बारगढ़ जिले के डूंगरी गांव की रहने वाली पाला साहा को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। हालाँकि, एसीसी-अदाणी फाउंडेशन द्वारा समर्थित स्वयं सहायता समूह, दृढ़ प्रतिज्ञा ट्रस्ट के माध्यम से, उन्हें 40 हजार रुपये का ऋण प्राप्त हुआ और इस वित्तीय सहायता ने उन्हें अपने डेयरी फार्मिंग शुरू करके अपने खुद को सशक्त बनाया।
दो साल में ही पाला के डेयरी फार्म में वृद्धि देखी गई। ज्यादा गायों को शामिल करने और सुविधाओं में सुधार के साथ, उनके फार्म से न सिर्फ उनके परिवार का जीवन स्तर ऊंचा उठा बल्कि उन्होंने व्यक्तिगत उपलब्धियां हासिल की। आज पाला साहा के पास 7 उत्पादक गायें हैं जो दिन 30 लीटर दूध देती हैं और उनकी महीने की आमदनी 12 से 13 हजार रुपए है।

Loading...

Check Also

भारत और स्विट्जरलैंड के बीच रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने हेतु समझौता हुआ

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : भारत और स्विट्जरलैंड के बीच रेल क्षेत्र में …

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com