लखनऊ। जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) पाने या भारत के किसी विश्वविद्यालय अथवा संबद्ध महाविद्यालय में लेक्चरर बनने का सपना तभी पूरा हो सकता है, जब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) में सफलता हासिल कर ली जाए। यह परीक्षा साल भर में दो बार, जून व दिसंबर में होती है। लगभग 84 विषयों के लिए होने वाली यह परीक्षा देशभर में करीब 91 सेंटरों पर आयोजित की जाती है।
कब कर सकेंगे आवेदन
किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से मास्टर डिग्री (55 प्रतिशत अंकों सहित) हासिल हो जाए। मास्टर कोर्स के अंतिम वर्ष की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्र भी यह परीक्षा दे सकते हैं। आरक्षित श्रेणी को अंकों के प्रतिशत में छूट दी जाती है। इसमें लेक्चरर तथा जेआरएफ के लिए अलग-अलग आयु सीमा निर्धारित है। जेआरएफ के लिए जहां आयु सीमा 30 वर्ष तय की गई है, वहीं, लेक्चरर के लिए ऊपरी आयु का कोई बंधन नहीं है। शैक्षिक योग्यता की तरह इसमें भी छूट का प्रावधान है।
आब्जेक्टिव होंगे सभी प्रश्न
पिछले साल से यह परीक्षा दो पेपरों में आयोजित हो रही है। इसलिए उम्मीदवार परीक्षा के पैटर्न को भलीभांति समझ लें। उम्मीदवारों की सहूलियत के लिए परीक्षा दो सत्रों में संपन्न कराई जाती है।
पहले पेपर में 50 अनिवार्य प्रश्न, जबकि दूसरे पेपर में 100 अनिवार्य प्रश्न पूछे जाएंगे। पहले पेपर के लिए 100 अंक, जबकि दूसरे पेपर में 200 अंक निर्धारित किए गए हैं। पहला पेपर एक घंटे का और दूसरा पेपर दो घंटों का होता है। सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव होते हैं। प्रत्येक प्रश्न के सही उत्तर के लिए दो अंक मिलते हैं। दोनों पेपरों में 40-40 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है।
क्वालिफाइंग नेचर की है परीक्षा
यह परीक्षा क्वालिफाइंग नेचर के साथ-साथ हाईस्कोरिंग भी होती है। परीक्षा को लेकर उम्मीदवारों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा रहती है। अत: इसमें बेहतर तैयारी एवं स्पष्ट रणनीति से ही सफलता हासिल हो सकती है। परीक्षा का माध्यम हिंदी व अंग्रेजी दोनों है। पहले पेपर मेंं जनरल नेचर, टीचिंग/रिसर्च एप्टिट्यूड, रीजनिंग एबिलिटी, कॉ्प्रिरहेंशन व जनरल अवेयरनेस पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हंै, जबकि दूसरा पेपर उम्मीदवार द्वारा चुने गए विषय का होता है। इससे प्रश्न भी ज्यादा आते हैं। दोनों पेपरों के बीच 30 मिनट का ब्रेक होता है।
कमजोर पहलुओं को पहचान लें
प्रश्न कहीं से भी पूछे जा सकते हैं। इसलिए सभी विषयों को बराबर का महत्व दें। जो भी समय शेष है, उम्मीदवार प्रश्नपत्रों एवं विषयों के अनुसार समय को बांट कर प्रत्येक टॉपिक का अध्ययन व रिवीजन करें। इसमें सबसे जरूरी है अपने कमजोर पहलुओं को पहचानना। यह काम समय रहते हो जाना चाहिए। जिस टॉपिक में खुद को कमजोर समझ रहे हों, उनको दोहराने में अपेक्षाकृत अधिक समय दें। दोनों पेपरों पर प्रतिदिन निगाह पड़नी आवश्यक है। ये सारा काम एक प्लानिंग के तहत ही करें।
दिक्कत हो तो विशेषज्ञों की मदद लें
उम्मीदवार जो भी विषय चुन रहे हों उसकी तैयारी ठीक ढंग से करनी जरूरी है। यानी चयनित विषय पर आपकी मजबूत पकड़ होनी चाहिए। ऑब्जेक्टिव होने के नाते पूरा पाठ्यक्रम तैयारी की जद में आना चाहिए। किसी टॉपिक को हल्का समझकर न छोड़ें तथा प्रश्नों को लेकर पहले से कोई भ्रम न पालें। नियमित अभ्यास को ही सफलता की कुंजी मानते हुए अपनी पूरी ऊर्जा लगा दें। जहां दिक्कत महसूस हो रही है वहां किसी विशेषज्ञ की मदद लेने में गुरेज न करें।
टीचिंग स्किल डेवलप करें
सामान्य अध्ययन के प्रश्नों को हल करने के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार अपनी जरूरत के हिसाब से एनसीईआरटी की विभिन्न विषयों की पुस्तकों का अध्ययन करें। रिविजन के दौरान भी उन पुस्तकों को अपने पास रखें। टीचिंग/रिसर्च एप्टिट्यूड के लिए टीचिंग स्किल डेवलप करें। इसी तरह से रीजनिंग के प्रश्नों के उत्तर के लिए प्रजेंस ऑफ माइंड मजबूत करें। देश-विदेश की समसामयिक घटनाओं पर भी अपनी पैनी नजर रखें और उनसे हमेशा अपडेट रहें। कुछ प्रश्न वहां से भी पूछे जा सकते हैं।
तैयारी के 5 प्रमुख टिप्स
– करेंट अफेयर्स मजबूत रखें
– शिक्षण अभिरुचि के प्रश्नों पर रहें फोकस
– सेलेक्टिव सब्जेक्ट का बेसिक क्लीयर करें
– मॉक टेस्ट से हासिल करें रफ्तार
– ज्यादा से ज्यादा प्रश्न हल करें