
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में तीन पुलिसकर्मी एक साल तक फर्जी पुलिस थाना चलाते रहे. वे लोगों को झूठे मामलों में फंसाकर गिरफ्तार करते और फिर फिरौती मांगते. उनका भांडा तब फूटा जब एक पीड़ित के बेटे ने वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत कर दी.
कैसे चलता था यह फर्जी थाना ?
पुलिस सूत्रों के हवाले से लिखा है कि आरोपी पुलिसकर्मी कस्बा चौकी में तैनात थे. उन्होंने इलाके में एक रबर फैक्ट्री का हिस्सा कब्जा कर उसे पुलिस थाना जैसा बना दिया. वहां उन्होंने एक फर्जी लॉकअप भी बना रखा था. वे पूरे एक साल तक ठगी का यह खेल खेलते रहे.
कैसे हुआ खुलासा ?
शुक्रवार को सब-इंस्पेक्टर बलबीर सिंह और कांस्टेबल हिमांशु तोमर व मोहित कुमार भिटौरा गांव के एक किसान के घर पहुंचे. उन्होंने किसान के बेटे पर ड्रग्स और अवैध हथियार रखने का झूठा आरोप लगा दिया.
किसान ने स्थानीय पत्रकारों को बताया, ‘उन्होंने मेरे बेटे के पास एक अवैध पिस्तौल रखी और वीडियो बनाकर हमें फंसाने की कोशिश की. फिर हमें फर्जी थाने ले जाकर लॉकअप में डाल दिया.’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि थाने को देखकर यह संदेह नहीं हुआ कि यह फ़र्ज़ी भी हो सकता है.
पुलिसकर्मियों ने परिवार से दो लाख रुपये की मांग की, जो कुछ ही घंटों में दे दिए गए. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने पीड़ित को नहीं छोड़ा और और पैसे मांगे. तब उनके बेटे ने हिम्मत जुटाकर वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया.
जांच और कार्रवाई
बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने बताया कि तीनों आरोपी फरार हैं.
तीनों आरोपी पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए हैं और उन पर अपहरण, अवैध हिरासत, डराने-धमकाने, जबरन वसूली, मारपीट और अपराध के इरादे से घुसपैठ जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.