सूर्योदय भारत समाचार सेवा, बांसवाड़ा / टोंक : राजस्थान के बांसवाड़ा एवं टोंक में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को हज़ारों नागरिकों ने ‘ख़तरनाक और भारत के मुसलमानों पर सीधा हमला’ बताते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है. नागरिकों ने कहा है कि इस भाषण के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न करने से चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और स्वायत्तता कमज़ोर होगी.
देश के हजारों नागरिकों ने सोमवार (22 अप्रैल / 23 अप्रैल) को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुसलमानों के खिलाफ उनकी नफरत भरी टिप्पणियों एवं जय बजरंग वली पर कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा है.
अनुसार, 2,200 से अधिक नागरिकों ने इसे ‘खतरनाक और भारत के मुसलमानों पर सीधा हमला’ बताते हुए चुनाव आयोग से अपनी अपील में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने (भारतीय जनता पार्टी के) स्टार प्रचारक के रूप में प्रचार करते हुए 21 एवं 23 अप्रैल को राजस्थान में भाषण दिया, जिसने भारत के संविधान का सम्मान करने वाले लाखों नागरिकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.’
मोदी ने अपने भाषण में ‘इससे पहले जब उनकी (यूपीए) सरकार सत्ता में थी, उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, जिसका मतलब है कि वे इस संपत्ति को इकट्ठा करेंगे और उन्हें बांट दो- जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें घुसपैठियों को बांट देंगे. क्या आपकी मेहनत का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? क्या आप इसे स्वीकार करते हैं ?’
उन्होंने यह भी कहा, ‘कांग्रेस का यह घोषणापत्र कह रहा है कि वे माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसका वितरण करेंगे. मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. भाइयों-बहनों, ये अर्बन नक्सली सोच आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देगी, इतनी दूर तक जाएगी.’
चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित करते हुए नागरिकों के समूह ने कहा कि वोट मांगने के लिए मोदी की भाषा दुनिया में ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में भारत के कद को गंभीर रूप से कमजोर करती है.
पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा, ‘इस तरह के नफरत भरे भाषण के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में चुनाव आयोग की विफलता केवल इसकी विश्वसनीयता और स्वायत्तता को कमजोर करेगी, जिसे आपसे पहले अनुकरणीय अधिकारियों द्वारा सुरक्षित और बरकरार रखा गया है.’
वहीं, 17,500 से अधिक लोगों द्वारा हस्ताक्षरित संविधान बचाओ नागरिक अभियान के एक अन्य पत्र में आरोप लगाया गया कि मोदी ने ‘इस संहिता (आदर्श आचार संहिता) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का घोर उल्लंघन किया है. यह ‘सांप्रदायिक भावनाओं’ को भड़काने के साथ-साथ मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं में नफरत को भड़काने और बढ़ाने वाला भी है.’
संविधान बचाओ नागरिक अभियान के पत्र में आरोप लगाया गया है कि मोदी ने मुसलमानों को एक ऐसी आबादी के बराबर माना है जो अधिक बच्चे पैदा करती है और ‘घुसपैठिया’ हैं. इसमें कहा गया है, ‘मोदी झूठ का सहारा ले रहे हैं क्योंकि कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि वह हिंदू महिलाओं सोने के बारे में जानकारी एकत्र करेगी और इसे मुसलमानों को बांटेगी.’ संविधान बचाओ नागरिक अभियान के पत्र में चुनाव आयोग से मोदी की निंदा करने को कहा गया. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के भाषण में ‘भारत के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की क्षमता है’ और उनके अभियान पर प्रतिबंध लगाया जाए, जैसा कि इस प्रकृति के उल्लंघन के लिए पहले भी किया गया है.
मोदी के बांसवाड़ा भाषण के लिए उनके खिलाफ दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई. वाम दल ने पहले अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन से संपर्क किया था. हालांकि, इसे स्वीकार नहीं किया गया, जिसके बाद उन्हें मोदी के खिलाफ दिल्ली पुलिस आयुक्त को लिखना पड़ा.
सीपीआई (एम) ने अपने पत्र में कहा, ‘21.04.2024 को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली के दौरान दिए गए भाषण में मोदी ने जानबूझकर और रणनीतिक रूप से मुस्लिम विरोधी हथकंडों का इस्तेमाल किया ताकि हिंदू समुदाय को यह आभास दिलाया जा सके कि उनकी संपत्ति खतरे में है, क्योंकि समुदाय की संपत्ति खतरे में है, खासकर महिलाओं (हिंदू) का सोना और मंगलसूत्र कांग्रेस पार्टी द्वारा मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को वितरित किया जाएगा. इसका प्रभाव किसी समूह में उनकी सदस्यता के आधार पर व्यक्तियों को लक्षित करना और समूह को घृणा के संपर्क में लाना है. नफरत भरे भाषण का इस्तेमाल कर वोट की अपील करना पूरी तरह से गैरकानूनी है, जैसा कि प्रधानमंत्री ने किया है.’
मोदी ने टोंक में जय बजरंग वली के नारे से भाषण की शुरुआत की, और महिलाओं से उनके स्त्री धन को कांग्रेस द्वारा लेने की झूठी बातें कहीं !