
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ / नई दिल्ली : केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में मंगलवार दिल्ली के अशोका होटल में एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा बिहार और उत्तर प्रदेश में बौद्ध पर्यटन स्थलों के विकास एवं संवर्द्धन के लिए एक वर्चुअल बैठक तथा प्रस्तुतीकरण का आयोजन किया गया। इस बैठक में केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री सुरेश गोपी, पर्यटन सचिव वी0 विद्यावती और उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की विशेष सचिव सुश्री ईशा प्रिया ने उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।

बैठक में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यदि समन्वित प्रयास किया जाए तो, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य-बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। इन ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थलों को विश्व स्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित करके भारत को प्रमुख बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि बौद्ध धरोहर स्थलों की पवित्रता बनी रहे और साथ ही ये दुनिया भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहें।

राजधानी लखनऊ से वर्चुअली जुड़े उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार बौद्ध पर्यटन की वैश्विक महत्ता को ध्यान में रखते हुए पर्यटन स्थलों के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के उन्नयन पर लगातार कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश में पहले से ही एक सुव्यवस्थित बौद्ध परिपथ विकसित किया गया है, जिसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए लगातार सुधार किए जा रहे हैं। राज्य सरकार रणनीतिक विकास, प्रचार-प्रसार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से उत्तर प्रदेश को एक प्रमुख बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

जयवीर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के इन समेकित प्रयासों से उम्मीद की जा रही है कि निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश और बिहार के बौद्ध पर्यटन स्थलों को वैश्विक स्तर पर अधिक मान्यता मिलेगी और यह स्थल लाखों अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। बैठक में मौजूद प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने बौद्ध पर्यटन स्थलों एवं बुद्धिस्ट सर्किट में स्थित पवित्र स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने भारत सरकार स्तर पर लम्बित वित्तीय धनराशि को यथाशीघ्र अवमुक्त करने का अनुरोध किया।
बैठक में चर्चा की गई कि भारत, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार, बौद्ध धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। विश्व की 07 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या बौद्ध धर्म का अनुसरण करती है और उत्तर प्रदेश में सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कौशांबी और संकिसा जैसे 06 प्रमुख बौद्ध स्थल हैं, जबकि बिहार में चार महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल स्थित हैं। सरकार बौद्ध स्थलों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि यह केवल स्मारकों के दर्शन तक सीमित न रहे, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान कर सके। इस पहल से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। इसके अतिरिक्त, बैठक में स्वतंत्र बौद्ध मठों को भी पर्यटन योजना में शामिल करने पर चर्चा की गई, जिससे बौद्ध स्थलों का आकर्षण और अधिक बढ़ सके।
एशियन डेवलपमेंट बैंक के कन्सल्टेंट श्री निवास कोलिगी ने अवगत कराया कि उत्तर प्रदेश के 06 प्रमुख बौद्ध पर्यटक केन्द्रों जैसे, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कौशाम्बी एवं संकिसा के विकास के लिए 4211 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसमें प्रथम चरण में सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती एवं कपिलवस्तु के लिए पीपीआर की धनराशि 2220 करोड़ रुपये तैयार कर प्रेषित किया गया है। कौशाम्बी और संकिसा चरण-2 में प्रस्ताव किया जायेगा। इसके अतिरिक्त बौद्ध परिपथ डेस्टिनेशन डेवलपमेंट रिपोर्ट भी प्रेषित की गई है। इस बैठक में भारत सरकार स्तर पर लम्बित धनराशि के बारे में भी चर्चा की गई। इसके अलावा कुशीनगर में हर साल की तरह बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से बौद्ध महोत्सव आयोजित कराये जाने का भी अनुरोध किया गया है।