
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, जबलपुर : भोपाल-रामगंज मंडी नई रेलवे लाइन परियोजना के अंतर्गत संत हिरदाराम नगर-जरखेड़ा सेक्शन का कमीशनिंग के लिए पश्चिम वृत्त के रेल संरक्षा आयुक्त मनोज अरोरा द्वारा शुक्रवार, 21 फरवरी को किया गया।
गौरतलब है कि 276 किलोमीटर लंबी भोपाल-रामगंज मंडी नई रेल परियोजना की कुल लागत ₹3,035 करोड़ है। इस परियोजना में भोपाल से ब्यावरा तक 111 किलोमीटर का क्षेत्र भोपाल मंडल के अंतर्गत आता है, जबकि शेष खंड कोटा मंडल में आता है। वर्तमान में संत हिरदाराम नगर से निशातपुरा डी केबिन तक रेल सेवा का संचालन किया जा रहा है।
संत हिरदाराम नगर-जरखेड़ा सेक्शन की कुल दूरी 21 किमी है। सीआरएस मनोज अरोड़ा ने इस नवनिर्मित रेललाइन पर ट्रायल से पूर्व मोटर ट्राली द्वारा विस्तृत निरीक्षण किया, साथ ही जरखेड़ा स्टेशन यार्ड का विधिवत परीक्षण किया। इसके बाद, CRS ने संत हिरदाराम नगर-जरखेड़ा सेक्शन में अधिकतम 130 किमी/घंटा की गति से सफल स्पीड ट्रायल किया।
इस निरीक्षण के दौरान मंडल रेल प्रबंधक, भोपाल देवाशीष त्रिपाठी एवं मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) सहित मुख्य परियोजना प्रबंधक, उप मुख्य अभियंता(निर्माण),कार्यकारी अभियंता(निर्माण), उप मुख्य विद्युत अभियंता (निर्माण), उप मुख्य सिंग्नल एवं दूर संचार अभियंता (निर्माण), वरिष्ठ मंडल अभियंता( समन्वय) सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
भोपाल-रामगंज मंडी नई लाइन परियोजना की मुख्य विशेषताएं:-
- इस परियोजना में मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्य शामिल हैं एवं 5 जिले – भोपाल, सीहोर, राजगढ़, झालावाड़ और कोटा इससे जुड़े हुए हैं।
- यह लाइन माल और यात्री परिवहन दोनों के लिए महत्वपूर्ण होगी, जिससे रेल कनेक्टिविटी बेहतर होगी और यात्रा समय में 3 घंटे की बचत होगी।
- झालावाड़ (राजस्थान) के कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट के लिए कोयले की आवागमन लागत कम होगी।
- ब्यावरा-झालावाड़ मार्ग के बजाय यह नया मार्ग 42 किमी छोटा होगा, जिससे ईंधन और समय की बचत होगी।
- घाटोली स्टेशन के पास स्थित प्रसिद्ध केलकेरा मंदिर तक स्थानीय यात्रियों की पहुंच सुगम हो जाएगी।
- भोपाल मंडल में 111 किमी रेल लाइन और 12 स्टेशनों के निर्माण के लिए ₹1,255 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।
- इस परियोजना को दिसंबर 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। “इस रेल परियोजना से भोपाल और कोटा मंडल के विभिन्न स्टेशनों के बीच सीधी और निर्बाध रेल कनेक्टिविटी संभव होगी। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि माल परिवहन में भी दक्षता आएगी।”