सूर्योदय भारत समाचार सेवा : अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने नफरती भाषण (Hate Speech) को लेकर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस संबंध में चुप्पी उनकी मौन सहमति प्रतीत होती है.
पत्रकार करण थापर से नफरती भाषण को लेकर नसीरुद्दीन शाह ने कहा, ‘बोलना प्रधानमंत्री कर्तव्य है, हम सभी की रक्षा करना उनका काम है. सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली है… यह मौन सहमति का प्रतीक है.
नफरती या घृणास्पद भाषण के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है और भारतीयों को पीढ़ियों से नहीं, बल्कि दशकों से इस तरह की गैर-जिम्मेदार बातों का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा, ‘यह हमेशा से था, हमेशा से हमारे समाज में व्याप्त रहते हुए सही परिस्थितियों की ताक में रहता है, और वर्तमान शासन ने इसे (नफरती भाषण) वैध बना दिया है.’
शाह ने कहा, ‘इससे मुझे गुस्सा आता है, लेकिन मुझे यह हास्यास्पद भी लगता है जब लोग मुझे पाकिस्तान जाने के लिए कहते हैं.’
उन्होंने कहा कि उन्हें एक बार बॉम्बे से कोलंबो और कराची जाने के लिए पूरी तरह से भुगतान किया हुआ टिकट (एक अज्ञात व्यक्ति से) प्राप्त हुआ था, लेकिन उन्होंने कहा, ‘मैं नाराजगी पालकर नहीं रह सकता.’
आलोचनात्मक रूप से बोलते हैं उन्होंने कहा कि कैसे सरकार सभी आलोचकों को ‘राष्ट्र-विरोधी’ कहती है.
उन्होंने कहा, ‘देश-विरोधियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग की पूरी बात बेतुकी है’. उन्होंने कहा कि यह सरकार थी जो भारत को ‘टुकड़ों’ में विभाजित कर रही थी.
नसीरुद्दीन शाह ने यह भी बताया कि कैसे भारतीय, अक्सर और बिना सोचे-समझे, एक-दूसरे के बारे में अशिष्टता और क्रूरता से बात करते हैं.
शाह ने कहा कि यह ‘विचार की कमी’ है और इस बात पर सहमति जताई कि यह भारतीयों को ‘अहंकारी, आत्म-केंद्रित, स्वार्थी, शिष्टाचार और विनम्रता से अनभिज्ञ’ होने के रूप में प्रकट करता है.
प्रधानमंत्री मोदी का यह दावा कि भारत लोकतंत्र की जननी है, नसीरुद्दीन शाह ने भारत में स्थितियों को ‘एक अघोषित आपातकाल’ कहा.
वे कहते हैं, ‘हम एक लोकतंत्र होने का दावा तब तक नहीं कर सकते जब तक कि हम सभी नागरिक अपनी जिम्मेदारी का एहसास न करें और जहर फैलाना और नफरत और हिंसा को बढ़ावा देना बंद न कर दें.’