अशाेक यादव, लखनऊ। हाई कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टर कफील खान मथुरा जनपद की जेल से रिहा हो गए हैं। रिहा होने के बाद डॉ कफील ने न्यायपालिका का आभार जताया। इसके साथ ही उन्होंने मथुरा जेल प्रशासन और योगी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने राज्य सरकार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया है।
इससे पहले कफील खान की रिहाई पर रस्साकशी भी देखने को मिली।
देर रात रिहाई को लेकर चला ड्रामा खत्म हो गया।
1 सितंबर को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की बेंच ने कफील पर लगाए एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) को भी रद्द कर दिया था। रिहाई के बाद डॉ. कफील ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा।
अलीगढ़ प्रशासन की ओर से लगाए गए एनएसए को रद्द करते हुए डॉक्टर कफील को तत्काल जेल से ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था। हालांकि देर शाम तक अलीगढ़ ज़िला प्रशासन की ओर से रिहाई संबंधी कोई ऑर्डर मथुरा जेल नहीं भेजे जाने से रिहाई अटकी हुई थी। मध्य रात्रि में मथुरा जेल पहुंचे रिहाई के ऑर्डर के बाद डॉ कफ़ील को रिहा किया गया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सुबह ही रिहाई का आदेश कर दिया था।
रिहा होने के बाद डॉ कफील ने मथुरा जेल प्रशासन और योगी सरकार पर हमला बोला।
उन्होंने राज्य सरकार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
डॉक्टर कफील ने कहा, ‘मैं जुडिशरी का बहुत शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने इतना अच्छा ऑर्डर दिया है।
सभी 138 करोड़ देशवासियों का धन्यवाद और उन लोगों का धन्यवाद जिन्होंने संघर्ष में मेरा साथ दिया।’
कफील ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार ने एक झूठा बेसलेस केस मेरे ऊपर थोपा।
बिना बात के ड्रामा करके केस बनाए गए और 8 महीने तक इस जेल में रखा।
इस जेल में मुझे पांच दिन तक बिना खाना, बिना पानी दिए मुझे प्रताड़ित किया गया।
मैं उत्तर प्रदेश के एसटीएफ को भी धन्यवाद दूंगा, जिन्होंने मुंबई से मथुरा लाते समय मुझे एनकाउंटर में मारा नहीं।’
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के घंटों बाद भी डॉक्टर कफील की मथुरा जेल से रिहाई देर शाम तक नहीं हो सकी थी।
कफील नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में कार्रवाई हुई थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत करीब साढ़े 7 महीने से वह मथुरा जेल में बंद थे।
आदेश के बाद कफील के परिजन उनकी रिहाई के लिये मथुरा जेल पहुंचे।
लेकिन अधिकारियों ने आदेश न मिलने का हवाला देते हुए उन्हें रिहा करने से इनकार कर दिया था।