सूर्योदय भारत समाचार सेवा : हालाँकि, मामले के रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि अभियोजन पक्ष जानबूझकर उन कारणों से न्यायिक कार्यवाही में देरी कर रहा है जो उन्हें अच्छी तरह से पता है। इससे मेरे मुवक्किल श्री राज कुंद्रा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। मुकदमे का नतीजा जो भी हो, श्री राज कुंद्रा को शीघ्र मुकदमे का सामना करने का अधिकार है। ऐसा लगता है कि श्री राज कुंद्रा के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं है और यही कारण है कि अभियोजन पक्ष बार-बार स्थगन की मांग कर रहा है।
अभियोजन पक्ष का ऐसा आचरण जानबूझकर किया गया है।’ यही कारण है कि हमारे देश में लंबित मामलों का भारी अंबार लगा हुआ है और निर्दोष लोग बिना किसी निष्पक्ष सुनवाई के परेशान हो रहे हैं। एजेंसियों की रुचि केवल आरोप लगाने और मीडिया ट्रायल करने में है। जब अदालतों के समक्ष साक्ष्य की बात आती है, तो केवल लचर बहाने और स्थगन होते हैं।
इस पृष्ठभूमि पर, राज कुंद्रा अब उच्चस्तरीय अभियोजन के हाथों पीड़ित होने और अनंत काल तक न्याय की प्रतीक्षा करने के लिए मजबूर हैं। उन्हें शीघ्र सुनवाई की मांग के लिए माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष एक आपराधिक रिट याचिका दायर करने की कानूनी सलाह दी जा रही है।