
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) ने विश्व बैंक के यूपी एक्सीलेरेटर प्रोग्राम के सहयोग से उत्तर प्रदेश में धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप विकसित करने हेतु एक उच्च-स्तरीय हितधारक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक की अध्यक्षता उपकार के महानिदेशक डा. संजय सिंह ने की, जिसमें नीति-निर्माताओं, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, निजी क्षेत्र के भागीदारों, एफपीओ प्रतिनिधियों, प्रगतिशील किसानों और विभिन्न संस्थानों के अग्रणी विशेषज्ञों ने भाग लिया।
बैठक का मुख्य उद्देश्य शोध संस्थानों, सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्र के भागीदारों के बीच सहयोग को सशक्त बनाना था, जिससे उत्तर प्रदेश में डीएसआर की पहुंच और प्रभाव को बढ़ाया जा सके। यूपी एक्सीलेरेटर प्रोग्राम के तहत, 2024 में डीएसआर अपनाने का दायरा लगभग 80,000 हेक्टेयर तक पहुंच चुका है, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। चर्चा के दौरान डीएसआर को और अधिक बढ़ाने के लिए एक संगठित कार्य योजना की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जिसमें कार्बन क्रेडिट, प्रमाणन तंत्र और नवीनतम तकनीकों जैसी भविष्य उन्मुख रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। ड्रोन, प्रिसीजन फार्मिंग, मृदा पोषण, जैव उर्वरक और मशीनीकरण जैसी प्रमुख नवाचारों को अपनाने की आवश्यकता पर चर्चा की गई, जिससे इनपुट लागत को कम किया जा सके, श्रमिकों की कमी को दूर किया जा सके और उत्पादकता में सुधार किया जा सके। डीएसआर को बड़े पैमाने पर अपनाने में किसान उत्पादक संगठनों की भूमिका को भी रेखांकित किया गया, जिससे उन्हें डीएसआर पारिस्थितिकी तंत्र में एक केंद्रीय भागीदार के रूप में स्थापित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, संसाधनों के इष्टतम आवंटन और डीएसआर किसानों के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया, जिससे धान की खेती को अधिक स्थायी और जलवायु अनुकूल बनाया जा सके।
कार्यक्रम में डीएसआर के लिए उपयुक्त धान की किस्मों और संकर प्रजातियों की उपलब्धता और चयन पर भी चर्चा की गई, क्योंकि बीज चयन डीएसआर की सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक है। विशेषज्ञों ने लागत प्रभावी तकनीकों, उचित अंकुरण सुनिश्चित करने और विशेष रूप से पहले 40 दिनों के दौरान आवश्यक तकनीकी दिशानिर्देशों का पालन करने पर बल दिया। हितधारकों ने जिला स्तर पर एक मानकीकृत कृषि पद्धति विकसित करने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और डीएसआर को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए व्यावहारिक तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के बदलते परिवेश में बुंदेलखण्ड को वर्षा आधारित धान की खेती के लिए एक उभरते क्षेत्र के रूप में पहचाना गया, जिससे डीएसआर विस्तार के नए अवसर सामने आ रहे हैं।
निजी क्षेत्र के भागीदारों की डीएसआर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि वे उच्च गुणवत्ता वाले बीज, नवीन कृषि यंत्र, जैव उर्वरक और सटीक कृषि तकनीकों तक पहुंच प्रदान करते हैं। उनके सहयोग से प्रदर्शन परियोजनाओं, किसानों के प्रशिक्षण और इनपुट आपूर्ति श्रृंखलाओं का सशक्तिकरण हुआ है, जिससे डीएसआर को तेजी से अपनाने और उत्पादकता में वृद्धि करने में मदद मिली है। भविष्य में, निजी क्षेत्र के साथ अधिक मजबूत सहयोग बाजार कनेक्टिविटी को मजबूत करने, नई तकनीकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और डीएसआर खेती में स्थायी विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक होगा।
उपकार ने यू.पी. एक्सीलेरेटर प्रोग्राम के भागीदारों के साथ मिलकर डीएसआर पायलट और प्रदर्शन परियोजनाओं की निगरानी में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। यह जमीनी स्तर पर प्रयासों को बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ प्रभावी समन्वयन सुनिश्चित करेगा तथा केवीके, निजी क्षेत्र के भागीदारों और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर टिकाऊ डीएसआर क्लस्टर स्थापित करने, एफपीओ नेटवर्क को मजबूत करने और किसानों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को सुगम बनायेगा।