
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : “दादाजी, क्या आप औरतों को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं ?”
खुशवंत सिंह की पोती ने जब अपने 77 वर्षीय दादा से यह सवाल पूछा था तो उनकी मां और दादी भी वहीं बैठी थीं.
दरअसल, यह 16 वर्षीय स्कूली छात्रा अपने दादा खुशवंत सिंह से महिलाओं के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछ रही थी.
खुशवंत सिंह लिखते हैं, “मैंने इसका सीधा जवाब दिया. हाँ, बिलकुल, तुम्हें नहीं पता कि हर दिन कितनी खूबसूरत महिलाएँ मुझसे मिलने आती हैं ?”
खुशवंत सिंह की आलोचना न केवल उनके लेखन में महिला पात्रों के चित्रण के लिए की गई बल्कि कई महिलाओं के साथ उनके संबंधों के दावों के लिए भी की गई.
उन्होंने स्वयं ‘फ़ैमिली मैटर्स’ शीर्षक से लेख में लिखा था.
उस लेख में खुशवंत ने लिखा, “हालांकि, मेरे जीवन में कई महिलाएं आईं, ठीक वैसे ही जैसे कई पुरुषों के जीवन में आती हैं लेकिन मैंने कभी भी किसी का अनावश्यक रूप से मज़ाक नहीं उड़ाया और न ही मैं किसी के साथ अनावश्यक रूप से खुला. उन महिलाओं ने भी मुझे कभी नहीं डांटा.”
खुशवंत सिंह लिखते हैं कि महिलाओं को उनका साथ पसंद था क्योंकि वह एक अच्छे श्रोता और उदार दिल वाले इंसान थे.
इस बारे में राहुल सिंह कहते हैं, “वह हमारी मां के प्रति बेहद समर्पित थे, इसीलिए उनका रिश्ता इतना लंबा और ख़ूबसूरत था. उन्होंने जो लिखा वह मूलतः उनके काल्पनिक विचार थे.”