
अनुपूरक न्यूज़ एजेंसी, लखनऊ। रविवार को दलित, ओबीसी, माइनॉरिटी एवं आदिवासी परिसंघ (डोमा परिसंघ) की प्रथम प्रदेश स्तरीय बैठक सहकारिता भवन, लखनऊ में संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस सभाजीत यादव, पूर्व न्यायधीश इलाहाबाद हाईकोर्ट, ने किया। डॉ. उदित राज (पूर्व सांसद) राष्ट्रीय चेयरमैन डोमा परिसंघ, मुख्य अथिति के रूप में शामिल हुए। डोमा परिसंघ की यह प्रथम प्रांतीय सम्मेलन था। वर्तमान में उ. प्र. में बहुजन आंदोलन मृत्यु सैया पर लेटा हुआ है और जरूरत है कि इसको ऑक्सीजन देकर खड़ा किया जाए।
रविवार के इस कार्यक्रम में सहकारिता भवन खचाखच भरा हुया था। इसमें प्रदेश के सभी जिलों के लोगों की सहभागिता हुई। सम्मेलन की सफलता को देखते हुए यह बात समझ में आयी है कि लाखों सामाजिक न्याय के लोग इंतज़ार में हैं कि कुछ किया जाए। कोई फिर से नया आंदोलन खड़ा हो। पहले से अब दलित, ओबीसी, माइनॉरिटी और आदिवासी के समक्ष चुनौतियाँ कई गुना बढ़ गई हैं। अगर एक तरफ़ शिक्षा महंगी हुई है तो दूसरी तरफ़ निजीकरण एवं ठेकेदारी प्रथा के कारण सरकारी नौकरियां लगभग समाप्त हो गईं हैं।
सम्मेलन आरक्षण बचाने, आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाने, वक्फ बोर्ड बचाने, जाति जनगणना और ईवीएम हटाने आदि प्रमुख मुद्दों पर आयोजित किया गया। डोमा परिसंघ की जरूरत इसलिए भी है ताकि दलित, पिछड़े और मुस्लिम के बीच सामाजिक एकता स्थापित हो। सामाजिक दोस्ती से ही राजनैतिक दोस्ती संभव है। मुस्लिम समाज की भागीदारी लगातार घटती जा रही है, इसका मुख्य कारण है कि बहुजन एकता कमजोर हुई है। सांप्रदायिक सद्भाव इसलिए भी जरूरी है कि मूलभूत समस्याएं जैसे बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा आदि को उचित, प्राथमिकता मिल सके। वर्तमान हालत में हिंदू-मुस्लिम की वजह से कृषि, अर्थव्यवस्था जैसी अहम बातों पर चर्चा ही नहीं हो पा रही है।
डॉ. उदित राज जी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ तथाकथित बहुजन नेता जाति में जाति किए जिसके कारण दलित व पिछड़ा आंदोलन कमजोर हुआ। इन्हीं नेताओं ने डॉ. अंबेडकर की विचारधारा जाति विहीन समाज की स्थापना को जातिवाद में बदल दिया। दलित, मुस्लिम एवं पिछड़े वर्ग के नेताओं ने अपने निजी स्वार्थ में उपजातिवाद, को बढ़ावा दिया और दूसरी तरफ़ यही लोग सवर्ण समाज की तीखी आलोचना करते रहे। सम्मेलन को विशिष्ट अथिति के रूप में डॉ. मसूद, पूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार एवं राज बहादुर, पूर्व मंत्री, बहुजन समाज पार्टी ने भी संबोधित किया। इन्होंने कांशीराम जी के साथ बड़े लंबे समय तक संघर्ष किया।
डोमा के प्रथम प्रदेश सम्मेलन का श्रेय प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष एड. विजय बहादुर यादव को जाता है। इसके अतिरिक्त सुशील पासी, शाह नवाज़ आलम, एड. सतीश सांसी, नीरज चक, नारायण सिंह पटेल आदि ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।