मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ : जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव निकट आ रहा है वैसे-वैसे भाजपा सांसदों की धुकधुकी बढ़ने लगी है।एक भाजपा सांसद अपने क्षेत्र में होने वाली विशाल जनसभा को सफल बनाने के लिये जिला अधिकारी को पत्र लिख कर सहयोग की अपेक्षा किये हैं। पत्र जिले के मुख्य विकास अधिकारी को यह निर्देश देते हुये फारवर्ड कर दिया जाता है कि सभी संबंधित को निर्देशित करें एवं इनस्योर करें।
जब उन्हें उनके लोकसभा क्षेत्र के जफराबाद विधानसभा के बयालसी महाविद्यालय, विकासखंड जलालपुर के मैदान में आयोजित जनसभा के संदर्भ में बताया गया तो कहे कि बहुत अच्छी सभा हुई। मुख्य अतिथि समय से नहीं आये। पब्लिक को बहुत इंतजार करना पड़ा।मुख्य अतिथि जी अच्छा बोले। केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल मुख्य अतिथि के रूप में आये थे। साथ मे कैलाश सोनी राज्य सभा सांसद आये थे। जब सांसद बीपी सरोज से पूंछा कि आपने प्रशासन को भीड़ लाने के लिए कोई पत्र लिखा है तो पहले उन्होंने एकदम से इनकार किया। जब उन्हें पत्र का संदर्भ यह कहते हुये बताया गया कि उसकी प्रति हमारे पास भी है तब उन्होंने कहा कि लाभार्थी सम्मेलन में मड़ियाहूं में था। लाभार्थी लाने के लिये पत्र लिखना ही चाहिए। हमारे कार्यकर्ताओं के माध्यम से जिन्हें लाभ मिला उन्हें आना ही चाहिये। उनसे पूछा गया कि लाभार्थियों को दबाव बना कर लाया जायेगा। तब वह बोले कि मैंने कभी दबाव नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि हमने पत्र लिखा है जिससे जनसभा में एम्बुलेंस, पीने का पानी, स्वास्थ्य व्यवस्था का सुचारु इंतजाम हो लेकिन पत्र में इन बातों का जिक्र तक नहीं है। बतादें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दावा है कि उन्होंने बिना सिफारिश, बिना भेद भाव के देश के गरीबों तक अनेक योजनाओं का लाभ पहुंचाया है। जबकि ठीक उसके उलट उनके सांसद का दावा है कि उनके कार्यकर्ताओं के माध्यम से जिनको लाभ मिला है उन्हें भाजपा के लाभार्थी सम्मेलन में आना ही चाहिये। आये दिन क्षेत्र से गायब होने वाले जनप्रतिनिधियों के पोस्टर इस आशय के साथ चिपके मिलते हैं कि गुमशुदा की तलाश है।
भाजपा के शीर्षस्थ सूत्रों की मानें तो आईबी ने प्रधानमंत्री को एक रिपोर्ट दी है कि ऐसे सांसद जो पूरे चार वर्ष बीत जाने के बाद भी अपने क्षेत्र की जनता के बीच नहीं गये हैं वह किसी भी हालत में दोबारा नहीं जीतेंगे। उनकी लापरवाही से भाजपा के खिलाफ जनाक्रोश व्याप्त हो गया है। जब से यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में आया तब से उनकी चिंता बढ़ गयी है। क्योंकि देश में सर्वाधिक लोकसभा की 80 सीटें उत्तर प्रदेश से हैं। यदि भाजपा की लुटिया यहां डूबी तो 2024 में केंद्र में नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना बहुत कठिन हो जायेगा। वैसे भी अपनी सफलता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते रहते हैं कि चार वर्ष विकास करो, एक वर्ष चुनाव लड़ो। लेकिन ऐसे सांसदों का क्या होगा जो यूपी में भाजपा की सरकार होने के कारण स्थानीय प्रशासन के सहयोग पर निर्भर हैं। जनता की नाराजगी झेल पाना मुश्किल लग रहा है। इस संदर्भ में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे रामगोविंद चौधरी ने कहा कि जनमानस भाजपा के खिलाफ है, सांसद के पत्र से भाजपा का भांडा फूट गया। एक तरफ पुरानी पेंशन को बहाल न करने से नाराज कर्मचारियों में भाजपा सरकार के प्रति गुस्सा है, दूसरी तरफ उन्हें सत्ता के रौब से भीड़ बनाया जा रहा है। बीजेपी के सांसद चार साल से ज्यादा समय अपने क्षेत्रों के लोगों के लिए क्या किये?यह उसका जीता जागता उदाहरण है।भाजपा सांसद अपने ही क्षेत्रों में रैली के लिए भीड़ नहीँ जुटा पा रहे हैं। मजबूर होकर भीड़ जुटाने के लिये जिलाधिकारी व अन्य संबंधित अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। कार्यकर्ताओं की जगह वह सरकारी कर्मचारियों और लाभार्थियों पर निर्भर हैं। वैसे तो यही हालत सब जगह है लेकिन एक पत्र सीडीओ जौनपुर का मिला जिसमें वह स्थानीय सांसद मछली शहर द्वारा जलालाबाद में कल हुई रैली के लिए भीड़ जुटाने के आग्रह पर अपने मातहत अधिकारियों को आदेश दिए। इस पत्र में उन्होंने जौनपुर के सभी बीडीओ को बीते 19 जून को सम्पन्न रैली के सरकारी योजनाओं के सभी लाभार्थियों को रैली में उपस्थित होने का आदेश दिया है।