
सूर्योदय भारत समाचार सेवा : लोक में शिव…शिव को पतिरूप में पाने के लिए तपस्या करतीं माता पार्वती की परीक्षा लेने गए सप्तर्षियों ने कहा “किसके लिए तप कर रही हो देवी उस शिव के लिए जिसके पास न घर है न दुआर न खेत है न बाग-बगीचे कुछ काम धाम करता नहीं भांग खा कर मस्त पड़ा रहता है जिसके पास स्वयं पहनने के लिए कपड़े नहीं वह तुमको क्या पहनाएगा तुम जैसी विदुषी और सुन्दर कन्या का विवाह तो किसी राजकुल में होना चाहिए छोड़ो यह तप घर चलो” पार्वती जगदम्बा थीं जानती थीं कि शिव पर केवल और केवल उन्ही का अधिकार है उसी अधिकार से कहा “सुनिए साधु बाबा जिसने भेजा है उससे जा कर कह दीजिये कि वे स्वयं मना करें तब भी नहीं मानूँगी शिव के लिए करोड़ जन्म लेने पड़े तब भी कोई दिक्कत नहीं पर पति चाहिए तो शिव ही चाहिए” वियहकटवे सप्तर्षियों की ड्यूटी पूरी हुई वे हँसते हुए शिव के लोक चले जा कर बताया “विवाह कर लीजिए देवता माता नहीं मानेंगी…” शास्त्रों से इतर लोक में जो शिव पार्वती का स्वरूप है उसके हिसाब से शिव इस सृष्टि के सर्वश्रेष्ठ पति हैं माता पार्वती हमारे घर बार की सामान्य स्त्रियों की तरह बार बार पति से गुस्सा होती हैं और बेचारे भोले बाबा उनको मनाते रहते हैं और उनकी हर इच्छा पूरी करते रहते हैं जीवन में धन-धान्य का नाम तक नहीं है फिर भी पत्नी की कोई इच्छा खाली नहीं जाती इसीलिए गाँव की लड़कियां अब भी सावन के सोमबार को शिव की आराधना कर के उन से उन्ही जैसा वर मांगती हैं “भोला भाला पति जिसके हृदय में पत्नी के लिए कोई छल न रहे धन दौलत तनिक कम भी रहे, पर गुस्सा होने पर पति मनाए उसे उसकी पूरी प्रतिष्ठा पूरा सम्मान दे, हर इच्छा पूरी करे…” इससे अच्छा पति और कैसा होगा अब शिव की ओर से देखिये वे हमेशा अपनी ही दुनिया में मगन रहने वाले पुरुष हैं तपस्या में गए तो युगों युगों तक किसी की कोई चिन्ता ही नहीं न घर, न पत्नी, न बच्चे न सेवकों की चिन्ता औघड़दानी व्यक्तित्व, जिसने जो मांगा उसे वह सहज भाव से दे दिया भारतीय पुरुष सामान्यतः ऐसे ही होते हैं ऐसे व्यक्ति के साथ कोई स्त्री कैसे निबाह करे पर माता पार्वती ने किया उन्ही के रंग में रङ्ग गयीं शिव दैत्यों को उटपटांग वरदान दे देते फिर माता शक्तिरूप में आ कर उनसे मुक्ति दिलातीं कभी विरोध नहीं किया कभी हाथ नहीं रोका सम्बन्धों के मध्य धर्म था और धर्म के पीछे पीछे प्रेम सो पति की बुराइयां भी अधिक बुरी नहीं लगीं सो दुर्गम पहाड़ों के बीच भी जीवन स्वर्गिक हो गया….
पति की सामाजिक प्रतिष्ठा पत्नी ही तय करती है शिव की शक्ति माता पार्वती ही थीं सच पूछिए तो जीवन में यदि धर्म के पथ पर हाथ पकड़ कर चलने वाला निश्छल और प्रेम करने वाला संगी मिल गया तो जीवन सुन्दरतम हो जाता है धन, वैभव, सामाजिक प्रतिष्ठा सब द्वितीयक है प्रेम में बड़ी शक्ति होती है सम्बन्धों को निभाने के लिए ढेर सारे संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती धर्म, प्रेम और समर्पण हो तो हर सम्बन्ध चिरंजीवी हो जाता है और जीवन सुख से भर जाता है कभी आजमा कर देखिएगा पति पत्नी के बीच उपजे सामान्य विवादों को एक सहज मुस्कान समाप्त कर देती है भगवान शिव और माता पार्वती के वैवाहिक जीवन को भारतीय लोक ने आदर्श समझा और माना था तभी भारतीय विवाहों में अब भी शिव पार्वती के ही गीत गाये जाते हैं महाशिवरात्रि है आज हाथ जोड़िए गौरी-शंकर को दाम्पत्य सुखी रहेगा…