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CM स्टालिन का BJP पर बड़ा बयान, मंदिर मुद्दे का राजनीतिकरण की कोशिश नहीं होगी सफल

चेन्नई।  तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी ने खुद को मजबूत करने के लिए मंदिर के मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की तो वह सफल नहीं होगी। स्टालिन ने भाजपा विधायक वनथी श्रीनिवासन द्वारा उठाए गए एक मुद्दे पर कहा कि गरीब लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।

उन्होंने श्रीनिवासन से अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने का आग्रह करने के लिए कहा, जिससे आम लोग प्रभावित हुए हैं। मुख्यमंत्री ने साथ ही कहा कि भाजपा नेता को केंद्र से तमिलनाडु को मिलने वाले धन को प्राप्त करने की दिशा में राज्य के प्रयासों का समर्थन करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर उनकी पार्टी ने इस मामले पर अनावश्यक रूप से ‘राजनीति थोपने’ की कोशिश की, जो कि अदालत में विचाराधीन है, तो यह कभी सफल नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ प्रबंध मंत्री पी. के. शेखर बाबू के इस मामले पर संबोधन के बाद कहा।

इससे पहले, जब वनथी श्रीनिवासन ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग द्वारा यहां ‘अयोध्या मंडपम’ मंदिर के अधिग्रहण से संबंधित मुद्दे को उठाया, तो उनकी कुछ टिप्पणियों को अध्यक्ष एम अप्पावु ने सदन की कार्यवाही से हटा दिया था। उन्होंने कहा कि की गई कार्रवाई मानदंडों के अनुपालन में नहीं थी। यहां पश्चिम माम्बलम में ‘अयोध्या अश्वमेध महा मंडपम’ का संचालन श्री राम समाज करता था।

इसके जवाब में शेखर बाबू ने कहा कि 2004 से मंडपम में अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुई थीं और 2013 में जांच की गई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मंडपम मंदिर में गतिविधियां हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) अधिनियम के प्रावधान के खिलाफ हैं।

इसके बाद, पास के मंदिर के एक हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ प्रबंध कार्यकारी अधिकारी को मंदिर को ‘ठक्कर’ (मंदिर की गतिविधियों की निगरानी के लिए मोटे तौर पर, ‘योग्य व्यक्ति’) की निगरानी में सौंप दिया गया था। जब श्री राम समाज ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, तो अदालत ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ प्रबंध विभाग द्वारा वर्षों पहले मंडपम के अधिग्रहण के खिलाफ निषेधाज्ञा दी।

मंत्री ने कहा कि हाल में अदालत के फैसले में ठक्कर की नियुक्ति को बरकरार रखा गया। मंत्री ने कहा कि जब अधिकारी आदेश को लागू करने के लिए मंडपम गए, तो इसका विरोध किया गया और हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती के अधिकारियों पर पथराव किया गया।

 

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