सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : डिस्लेक्सिया जागरूकता माह के अंतर्गत डिस्लेक्सिया के बारे में में जागरूकता बढ़ाने के लिए डायट लखनऊ एवं चेंज इंक फाउंडेशन ने विशिष्ट अधिगम दिव्यांगता पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया । अक्टूबर माह को विश्वस्तर पर डिस्लेक्सिया जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए डायट प्राचार्य एवं उप शिक्षा निदेशक प्रो. अजय कुमार सिंह ने कहा की शिक्षकों को एसएलडी के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि वे इन बच्चों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा कर सकें RTE सभी बच्चो को शिक्षा का अधिकार देती है । कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में चेंजइंक फाउंडेशन के दिव्यांगता पुनर्वास विशेषग्य, अमरेश चंद्रा ने एसएलडी के विभिन्न प्रकार, सीखने पर इसके प्रभाव, एसएलडी वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ और समावेशी कक्षाओं के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा की स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी (SLD) को 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत विशेष रूप से शामिल किया गया है।
इस दिव्यांगता से प्रभावित बच्चों को पढ़ने, लिखने और गणित में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, शोध यह बताता है कि ऐसे बच्चों का आईक्यू सामान्य या उससे अधिक होता है, और ये बच्चे पढ़ाई और नवाचार में बेहद सफल होते हैं। ( जैसे – थॉमस एडिसन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अभिषेक बच्चन , बोमेन ईरानी आदि ) आवश्यकता है इस प्रकार के बच्चो के पहचान, सही शिक्षण विधि एवं मूल्याङ्कन की, जिस से ये समाज की मुख्य धारा में जुड़ सके इसीलिए, समुदायों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों और कार्यस्थलों में रणनीतिक और सक्रिय हस्तक्षेप आवश्यक हैं।
विषय प्रवर्तन करते हुए डायट प्रवक्ता डॉ. ज्ञान्वेंद्र ने कहा की कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य डायट लखनऊ में प्रशिक्षणार्थियों को भविष्य में एसएलडी वाले विद्यार्थियों की पहचान करने और उनका सहयोग करने के लिए सक्षम बनाना है। शोध के अनुसार समावेशी कक्षाएं सभी बच्चों के लिए सीखने का समृद्ध अनुभव प्रदान करती हैं।
इस जागरूकता कार्यशाला में आभार ज्ञापन चेंज इंक फाउंडेशन के अनिकेत ने किया कार्यशाळा को सफल बनाने हेतु सूरज श्रीवास्तव, रिषिका सिंह, तरुण वर्मा, अंबुज यादव, महेंद्र यादव सहित डी.एल.एड के सभी छात्र छात्राओं का विशेष योगदान रहा !.