सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : राजघाट, जो भारत की आज़ादी की लड़ाई का एक खास स्थान है, ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी। जाने-माने परोपकारी और अभिनेता दारासिंग खुराना ने नेताजी की 128वीं जयंती के मौके पर आयोजित भव्य समारोह का शुभारंभ किया।
यह कार्यक्रम नेताजी को सम्मान देने के लिए रखा गया था, जिन्होंने आज़ादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। दारासिंग खुराना ने समारोह की शुरुआत दीप जलाकर और नेताजी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर की।
सभा को संबोधित करते हुए खुराना ने कहा, “नेताजी सुभाष चंद्र बोस साहस और देशभक्ति का प्रतीक थे। उनकी सोच और उनका जज़्बा आज भी हम सभी को प्रेरणा देता है। उनके जीवन को याद करना और उनके योगदान को सम्मान देना मेरे लिए गर्व की बात है।”
कार्यक्रम में 9 राज्यों से आए 114 शिक्षक, कई गणमान्य व्यक्ति, स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्य, छात्र, और आम जनता शामिल हुई। सबने नेताजी को याद किया, जिन्होंने कहा था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।” राजघाट के निदेशक ज्वाला प्रसाद भी इस अवसर पर मौजूद थे।
स्कूल के बच्चों ने नेताजी के जीवन पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। इतिहासकारों और विद्वानों ने नेताजी के भारतीय राष्ट्रीय सेना और स्वतंत्रता संग्राम में दिए योगदान पर अपने विचार रखे।
दारासिंग खुराना, जो सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे रहते हैं, ने युवाओं से कहा कि वे नेताजी के जीवन से प्रेरणा लें। उन्होंने कहा, “नेताजी का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का संदेश आज भी बहुत मायने रखता है। अगर हम उनके विचारों को अपनाएं, तो हम सही मायनों में उन्हें सम्मान दे पाएंगे।”
समारोह का समापन नेताजी के आदर्शों को अपनाने की प्रतिज्ञा और राष्ट्रगान के साथ हुआ। सूरज ढलते ही राजघाट देशभक्ति के जज्बे से भर गया, और वहां मौजूद हर कोई नेताजी के बलिदानों को याद कर प्रेरित हुआ।