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इस वर्ष अक्टूबर महीने से सोशल मीडिया पर एक किताब खूब चर्चा में रही “गुलाबी ख़ंजर”

सूर्योदय भारत समाचार सेवा : किताब हिस्टोरिकल फिक्शन है और जाने माने हिन्दी प्रकाशक ‘हिन्द युग्म’ से प्रकाशित हो रही है. किताब की ख़ास बात ये है कि इसे एक या दो नहीं बल्कि तीन लेखकों ने साथ मिलकर लिखा है। आम आदमी पार्टी के विधायक एवं लेखक दिलीप पांडेय और लेखिका चंचल शर्मा की ये पाँचवी किताब है, लेकिन तीसरे लेखक रोहित साकुनिया जो कि पेशे से व्यवसायी हैं उनकी ये पहली किताब है। तीन लोग एक किताब लिखते समय कैसे एक दूसरे से सहमत होते हैं, ये अपने आप में चर्चा का मुद्दा है मगर उससे भी ज़्यादा जिस बात के लिए ये कितने लंबे समय से चर्चा में बनी हुई थी, वो है इसका नाम- “गुलाबी ख़ंजर”।

किताब के नाम की घोषणा २० अक्तूबर को भोपाल में हिन्द युग्म के सालाना आयोजित होने वाले उत्सव में हो गई थी। तभी से लिखने पढ़ने में दिलचस्पी लेने वाले लोग नाम को लेकर ख़ासे उत्साहित दिखे। कई अटकलें लगायी गयीं कि ये युद्ध की किताब है, या फिर ये प्रेम कहानी है। कुछ ने कहा कि षड्यंत्र और नफ़रत पर लिखी गई कहानी है।

लेखकों और प्रकाशकों ने रहस्य को बनाये रखा और जब २४ नवम्बर को साहित्य आजतक में किताब का कवर लॉंच हुआ तो उस पर दिखे तीन चेहरों ने किताब को और भी अधिक रहस्यमयी बना दिया। सोशल मीडिया पर पाठकों ने तरह तरह के क़यास लगाए और कवर से कहानी का अंदाज़ा लगाते हुए वीडियो शेयर किए।

आज सुबह जैसे ही अमेज़न पर किताब का प्री-ऑर्डर लिंक आया, सोशल मीडिया पर मानो आँधी आ गई। कुछ ही घंटों में किताब ने प्री-ऑर्डर के रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिये। शाम तक हो रही क़िताब की प्री ऑर्डर बुकिंग के सैलाब की वजह से, इस किताब के बेस्ट-सेलर कैटेगरी में आने की संभावनाओं को कोई नकार नहीं सकता, मगर साथ ही किताब का नाम सोशल मीडिया साईट x.com के ट्रेंड में इंडिया के पाँच टॉप ट्रेंड की लिस्ट में भी आ गया। लगभग दो घंटे तक हैशटैग #PreOrderGulabiKhanjar तीसरे और चौथे नंबर पर ट्रेंड करता रहा, जो हिंदी में लिखी गई क़िताब के प्री ऑर्डर के दृष्टिकोण से बहुत बड़ी बात है.

अंग्रेज़ी की किताबों के लिए तो लोगों का उत्साह हमने देखा ही है, मगर हिन्दी की किताब को प्री ऑर्डर में ही इतनी लोकप्रियता मिलते हुए हमने पहली बार देखा है। किताब का लोकार्पण समारोह अभी 4 जनवरी को, 2:30pm पर गोदावरी ऑडिटोरियम, लोधी रोड, दिल्ली में है, और उससे पहले ही ऐसा माहौल बनना प्रकाशक और लेखक के लिये ख़ुशी की बात है।

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