अशाेक यादव, लखनऊ। माटी कला के हुनरमंदों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इस बार उनकी दीपावली जिंदगी की सबसे यादगार दीपावली होने वाली है। मुख्यमंत्री ने इन कलाकारों से अपनेपन में वह उत्पाद खरीद लिए जो वह मुख्यमंत्री को उपहार स्वरूप देने लाए थे।
असल में खादी भवन में माटी कला मेले का शुक्रवार को आखिरी दिन होने के कारण कुछ कलाकार मुख्यमंत्री से मिलने सुबह उनके आवास पहुंचे। मुख्यमंत्री को उपहार देने के लिए कलाकारों ने मेले में बचे अपने कुछ उत्पादों को भी साथ लिया था।
लेकिन जब उनकी मुलाकात सीएम से हुई और उन्होंने मुख्यमंत्री को उपहार दिखाए तो मुख्यमंत्री ने उनसे बचे हुए माटी कला के सारे करीब 20 हजार के उत्पाद 25 हज़ार देकर खरीद लिए। मुख्यमंत्री के इस अपनेपन से कलाकारों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री आवास से वापस जाते वक्त मुख्यमंत्री ने सभी को मिठाई खिलाई और उपहार भी दिए।
मुख्यमंत्री से मिलने आजमगढ़ के घुरहूराम प्रजापति, गोरखपुर के राम मिलन प्रजापति, गोरखपुर के हीरालाल प्रजापति, बाराबंकी के शिव कुमार सहित नौ कलाकार गए थे। गोरखपुर जिले के जंगल एकला नंबर दो बुढऊ टोला निवासी हरिओम प्रजापति ने बताया कि ‘मुख्यमंत्री ने हमसे पहले मेले के बारे में पूरी जानकारी ली, फिर हमारी परेशानियों के बारे में पूछा। मेला हमारी उम्मीद से 10 गुना ज्यादा अच्छा है।
उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने खादी भवन में चार से 13 नवंबर तक माटी कला मेला का आयोजन किया था। इस दौरान 50 लाख से ज्यादा के उत्पादों की बिक्री हुई है। मेले में अलग-अलग जिलों के करीब 30 स्टॉल लगे हैं और 500 से ज्यादा तरह के उत्पाद मौजूद हैं।
ओडीओपी के इन उत्पादों की देश भर में डिमांड है। मुख्यमंत्री ने खुद ही लोगों से दीपावली पर अपील की थी कि इस बार अपनों को ओडीओपी का यादगार तोहफा दें। मुख्यमंत्री इस बार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित नामचीन लोगों को ओडीओपी गिफ्ट हैंपर भेज रहे हैं।
मुख्यमंत्री की मंशा है कि लोग इस गिफ्ट बास्केट के जरिये यूपी के ओडीओपी उत्पादों की खासियत से वाकिफ हों। इसमें गोरखपुर, वाराणसी, लखनऊ, कन्नौज, मुरादाबाद, अयोध्या, कानपुर, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, चंदौली, प्रयागराज, प्रतापगढ़, कन्नौज, सहारनपुर, सिद्धार्थनगर जिलों के उत्पाद शामिल हैं।
डालीबाग स्थित खादी भवन में आयोजित “माटीकला मेला-2020” का समापन शुक्रवार की शाम को हुआ। दस दिवसीय इस मेले में राज्य के विभिन्न जिलों से आए माटीकला शिल्पियों व कारीगरों ने करीब 50 लाख रुपये का कारोबार किया।
मिट्टी से बने दीये तथा अन्य उत्पादों की अच्छी बिक्री हुई।समापन कार्यक्रम से पूर्व उ.प्र. माटीकला बोर्ड के अध्यक्ष डा. धर्मवीर प्रजापति के नेतृत्व में कुम्हारों और शिल्पकारों का प्रतिनिधि मंडल जिसमें हरिओम आजाद, राम नरेश, शिवकुमार, राम मिलन प्रजापति, हीरालाल प्रजापति शिवम, रोहित व अन्य शामिल थे, मुख्यमंत्री से मुलाकात करने उनके सरकारी आवास पर गया।
मुख्यमंत्री ने इन शिल्पकारों का सम्मान करने के साथ ही उनके द्वारा ले जाए गए सभी उत्पादों को खरीदकर उनका उत्साह बढ़ाया। शाम को मेले के समापन की औपचारिक घोषणा डा. धर्मवीर प्रजापति ने की, हालांकि मेला स्थल पर देर रात तक शिल्पी अपना उत्पाद बेचते रहे।
इस मौके पर खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. नवनीत सहगल ने कहा कि पारम्परिक कला से जुड़े कारीगरों तथा शिल्पकारों को इस तरह के मंच प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। भविष्य में इस तरह के आयोजन जनपद और मंडल स्तर पर भी कराए जाने के प्रयास होंगे।
समापन कार्यक्रम में शिल्पकारों तथा कुम्हारों को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। समापन समारोह में माटीकला बोर्ड के नोडल अधिकारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
मेले में 40 से अधिक स्टाल लगाए गए थे। मिर्जापुर, कुशीनगर, आजमगढ़, बाराबंकी, बलिया, वाराणसी, उन्नाव, पीलीभीत, लखनऊ, अयोध्या, कानपुर, गोरखपुर, बुलन्दशहर तथा प्रयागराज से आए शिल्पियों ने अपने उत्कृष्ट उत्पादों को बिक्री के लिए प्रदर्शित किया था।