अशाेक यादव, लखनऊ। इसी साल फरवरी में पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दो आरोपियों को जमानत दे दी। अदालत ने दोनों आरोपियों की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि उनके खिलाफ पुलिस कोर्ट में पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाई।
ऐसे में यह साबित नहीं हो सका कि दोनों ने दिल्ली हिंसा के दौरान दुकानों में लूटपाट की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने जिन दो आरोपियों को जमानत दी है उनके नाम मोहम्मद रेहान उर्फ अरशद प्रधान और अरशद कय्यूम उर्फ मोनू है।
इन दोनों के ऊपर आरोप थे कि ये आम आदमी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा उकसाई गई भीड़ का हिस्सा बनकर दुकानों में लूटपाट की थी। दोनों के ऊपर शिकायतकर्ता के साथ-साथ अन्य 7 दुकानों में भी लूटपाट और तोड़फोड़ करने के आरोप थे।
इसी के आधार पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया था। लेकिन पुलिस कोर्ट में घटना से संबंधित साक्ष्य पेश नहीं कर पाई। ऐसे में कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी। जानकारी के मुताबिक, अरशद प्रधान हिंसा के चार अन्य मामलों में आरोपी है। वहीं मोनू भी पांच अन्य मामलों में आरोपी है।
बता दें कि दिल्ली हिंसा मामले में दोनों आरोपियों को जमानत देते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा कि अभियोजन के दावे को पुष्ट करने के लिए कोई सीसीटीवी फुटेज, वीडियो या फोटो नहीं है।
जिससे यह साबित हो सके कि दोनों लूटपाट की घटनाओं में शामिल थे। अदालत ने यह भी कहा कि चश्मदीद गवाहों ने कहा कि पवन और विक्रम, जिन्होंने आरोपियों की पहचान की है, उन्होंने 25 फरवरी को आरोपियों के बारे में डीडी में इंट्री नहीं की।
बीते 7 अक्टूबर को खबर सामने आई थी कि पूर्वी दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों के मामले में पुलिस ने एक और पूरक चार्जशीट दाखिल की है। चार्जशीट में सबूत के तौर पर वॉट्सऐप ग्रुप चैट और कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड को भी शामिल किया गया है।
चार्जशीट में कहा गया है कि वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए दिल्ली को जलाने की साजिश रची गई थी। दिल्ली पुलिस ने एक अदालत में दायर अपनी पूरक चार्जशीट में कहा है कि फरवरी में पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों को भड़काने में वॉट्सऐप ग्रुप ‘कट्टर हिंदू एकता’ ने बहुत बड़ी भूमिका अदा की थी। इस ग्रुप में दूसरे संप्रदाय को लेकर कट्टर और भड़काऊ मैसेज शेयर किए गए। जिससे सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा।