अशाेक यादव, लखनऊ। वामपंथी दलों ने कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के 25 सितंबर के विरोध प्रदर्शन को समर्थन देने की घोषणा की है। इसके साथ ही एक प्रस्ताव पारित कर भाजपा सरकार द्वारा क़ानूनों को रौंद कर देश की खेती को गिरवी रखने के लिये सभी संसदीय प्रक्रियाओं और कायदे क़ानूनों को हवा में उड़ाने की कारगुजारियों की कड़े शब्दों में निन्दा की है।
यह निर्णय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी, माक्र्सवादी, भाकपा, माले- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के राज्य नेतृत्व में एक ऑनलाइन बैठक में लिया गया है।
भाकपा राज्य सचिव डॉ गिरीश ने बताया कि राज्य सभा में मत विभाजन और मतदान की मांग करने वाले सांसदों को निलंबित कर यदि भाजपा सोचती है कि वह विपक्ष का मुंह बंद कर देगी, तो वह दिन में सपने देख रही है। देश की जनता ने अनेक संघर्षों से लोकतन्त्र को परवान चढ़ाया है और वे भाजपा की इस शातिराना कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगी।
भाकपा राज्य सचिव ने बताया कि सरकार द्वारा थोपे गये ये कानून देश की खेती और हमारे किसानों को बर्बाद कर देंगे। समय से पहले एमएसपी घोषित करने की सरकार की कवायद किसानों में उपजे आक्रोश को ठंडा करने की कोशिश और उन्हें भ्रम में डालने वाली है।
उन्होंने कहा कि वामपंथी पार्टियां उत्तर प्रदेश की अपनी समस्त इकाइयों से अपील करती हैं कि इन क़ानूनों को वापस लेने के लिये अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वयन समिति द्वारा 25 सितंबर को प्रतिरोध के आह्वान के प्रति पूर्ण समर्थन और एकजुटता दिखाएं।
ऑनलाइन बैठक में भाकपा राज्य सचिव के अलावा माकपा राज्य सचिव डॉ. हीरालाल यादव, भाकपा- माले के राज्य सचिव का सुधाकर यादव एवं आइ फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अनुभव कुशवाहा ने हिस्सा लिया।