अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर स्तिथ मेयो अस्पातल में उस वक्त अफरातफरी मच गई जब परिजन ने कोरोना मरीज की मौत के बाद परिजनों वहां हंगामा काटना शुरू कर दिया। कोरोना संक्रमित मरीज़ के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
परिजनों का आरोप है, कि 3 दिन में मनमाने तरीके से डॉक्टरों ने 3 लाख का बिल बना दिया।
जब मरीज़ की मौत हो गयी।
तो शव देने से पहले वो 3 लाख की मांग को लेकर अड़े रहे।
इंसानियत को तार-तार कर देने वाली एक और घटना लखनऊ से सामने आई है।
जहां एक अस्पताल प्रशाशन ने शव देने के बदले पैसे की मांग को रख दिया।
घटना लखनऊ के गोमतीनगर स्तिथ मेयो अस्पातल की है।
परिजनों का कहना है की 3 दिन पहले नाका के पानदरीबा में रहने वाले 45 वर्षीय रमेश कुमार सिंह को लोकबंधु अस्पताल से कोविड एल 3 रेफर किया गया था।
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रमेश कुमार सिंह कोरोंना से संक्रमित थे।
जिनकी हालत नाजुक थी।
परिजनों का आरोप है की डॉक्टरों की लापरवाही और प्रशासन के लापरवाह रवैये से रमेश की मौत हो गयी।
परिजनों ने सरकार द्वारा निर्धारतीत मूल्य को ताक पर रखते हुए अस्पताल ने 3 लाख रुपये का बिल बना दिया।
पहले तो एडवांस में 2 बारी में डेढ़ लाख के आस-पास भर्ती और दवाइयों के नाम पर पैसे वसूल लिए गए लेकिन कल शाम ही रमेश की मौत हो गयी। आरोप है की जब रमेश की डेड बॉडी को वो अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लगे तब अस्पताल ने बाकी पैसे चुका कर शव को ले जाने की शर्त रखी।
लिहाज़ा इसी बात को लेकर परिजनों ने हंगामा किया।
सूचना पाकर मौके पर भारी पुलिस बल के साथ अपर सिटी मजिस्ट्रेट पहुंचे।
जिसके बाद बातचीत करने के लिए अस्पातल में दाखिल हुए।
लेकिन घंटे भर बाद भी अस्पताल माफिया के सामने पुलिस और जिला प्रशासन के अफसर बौने नज़र आये।
कोरोना काल में निजी अस्पतालों का कारनामा आये दिन सुनने और देखने को मिल रहा है।
जहां मरीज़ो की जान पर शर्त लगाकर अस्पताल प्रशासन मोटी कमाई कर रहे है।
सरकार और स्वास्थ्य महकमे को भी देखने की ज़रुरत है जो अस्पताल मनमाने तरीके से लोगो से तय शुल्क से वसूल रहे है उनके ऊपर कार्रवाई करे।