अशाेेेक यादव, लखनऊ। 5 मई से शुरू हो रहे यूपी बोर्ड की कॉपियों के मूल्यांकन से बीमार, अशक्त और बुजुर्ग शिक्षकों को दूर रखा जाएगा।
सचिव नीना श्रीवास्तव ने शनिवार को सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक और जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजे गए पत्र में निर्देश दिया गया है कि जो अध्यापक शारीरिक रूप से अशक्त या अस्वस्थ्य हों या 65 साल से अधिक उम्र के हों उनसे मूल्यांकन न कराया जाए।
बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की लगभग तीन करोड़ नौ लाख कॉपियों को जांचने के लिए 146755 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है।
इनमें से 3257 शिक्षक ऐसे हैं जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे अधिक है। नई गाइडलाइन के अनुसार ये तीन हजार से अधिक शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य में नहीं लगाया जाएगा।
शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा मंत्री को रविवार को मूल्यांकन के सम्बन्ध में पत्र लिखा।
उनका कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में मूल्यांकन का एक ही रास्ता बचता है कि उत्तर पुस्तिकाएं निश्चित समय के लिए परीक्षकों को दे दी जाए तथा वह घर पर ही मूल्यांकन करें।
इससे शिक्षक महामारी से भी बच जाएंगे और मूल्यांकन का कार्य भी हो जाएगा। यह छात्र, शिक्षक तथा समाज सभी के हित में होगा।