अशाेेेक यादव, लखनऊ। कोरोना महामारी को लेकर उत्तर प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं, दूसरी ओर आगामी जुलाई से शुरू होने वाले नये शैक्षिक सत्र को लेकर उच्च शिक्षा विभाग की उलझन बढ़ने लगी है।
शिक्षा विभाग सत्र को नियमित करने के लिये कुछ विकल्प पर भी विचार करने लगा है। पिछले चार साल से सत्र नियमित थे और सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा था लेकिन कोरोना ने सब कुछ उलट पुलट कर दिया है।
उच्च शिक्षा विभाग मे सत्र को छोटा करने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। पिछले तीन साल से सब कुछ ठीक था।
समय पर छात्रों का प्रवेश, परीक्षा,रिजल्ट और दीक्षांत समारोह भी हो रहे थे लेकिन इस बार कोरोना संकट ने विश्वविद्यालय के लिए सरकार की ओर से जारी होने वाले कैलेंडर पर ग्रहण लगा दिया है।
मई की शुरुआत हो गई है लेकिन अभी तक ज्यादातर परीक्षाएं नहीं हुई हैं। किसी तरह परीक्षा करा भी दी जाती है तो कापियों की जांच और रिजल्ट तैयार करने मे समय लगेगा।
ऐसे मे यह तो तय माना जा रहा है कि जुलाई से शिक्षा का नया सत्र तो शुरू नहीं ही होगा। अभी चल रहे सत्र की परीक्षा का नया तरीका कैसा होगा इस पर सरकार और विश्वविद्यालय चिंतन कर रहा है।
हालांकि, परीक्षा तो लॉकडाउन खत्म के बाद ही होगा और ये कब समाप्त होगा अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। शिक्षकों का कहना है कि सत्र बचाने के इसे छोटा करना ही होगा।
सत्र को अनियमित करना ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसके लिये कमेटी का भी गठन किया है।
इस बात की पूरी संभावना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सत्र को छोटा करने का आदेश जारी करेगा।