
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, मुंबई : विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आपराधिक कानून से जुड़ा भारत का पहला विस्तृत डाटाबेस- द स्टेट ऑफ द सिस्टम (एस.ओ.एस.) लॉन्च किया है। अनविलिंग द स्टेट ऑफ द सिस्टम नाम के इस कार्यक्रम में कानून से जुड़े जाने-माने विशेषज्ञ, नीति-निर्माता और विशेषज्ञ शामिल हुए।
एस.ओ.एस. डाटाबेस अब crimeandpunishment.in पर लाइव है। इस रिपोर्ट में पिछले 174 सालों में बनाए गए 370 केंद्रीय कानूनों के तहत हर अपराध और चूक को दर्ज किया गया है, जो 45 अलग-अलग विषयों को कवर करते हैं।
रिपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए विधि में क्राइम एंड पनिशमेंट सेक्शन के प्रमुख, नवीद महमूद अहमद ने कहा, “आपराधिक कानून का उद्देश्य जनता की सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है, लेकिन आज भारत के सामाजिक और प्रशासनिक प्रारूप तक इसकी पहुँच बढ़ चुकी है।”
कार्यक्रम में एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम उपस्थित रहे।
ऐसे में एस.ओ.एस. डाटाबेस का शुभारंभ इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रिपोर्ट के कुछ प्रमुख बिंदु:
वर्तमान में लागू 882 केंद्रीय कानूनों में से 42% (370 कानूनों) में आपराधिक प्रावधान हैं, जिनके तहत कुल 7,305 अपराध और चूक को अपराध की श्रेणी में लिया गया है
कर, शुल्क और उपकर कानूनों के तहत 18 कानूनों में 265 अपराध शामिल हैं, जिसमें केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 में 45 अपराध हैं
अपराध की गंभीरता: 2,000 से ज्यादा अपराधों में सज़ा 5 साल या उससे अधिक है; 983 अपराधों में न्यूनतम सज़ा अनिवार्य है, जिनमें 106 अपराधों में कम से कम 10 साल और 44 अपराधों में कम से कम 20 साल की सज़ा तय है