सुनील तिवारी, देहरादून : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार राजनीतिक अस्थिरता वाले राज्य उत्तराखंड की बागडोर जब एक अनुभव हीन युवा के हाथों में सौंपी जा रही थी तो अधिकांश लोगों के मन में यह सवाल कौंध रहा था कि जिस राज्य की बागडोर सँभालने में बड़े-बड़े राजनीतिक दिग्गजों की कुर्सियां डोल गयी, उस राज्य की बागडोर एक प्रशासनिक अनुभवों से विहीन एक युवा क्या ही संभाल पायेगा. लेकिन कहते हैं कि जिस प्रकार हीरे की परख जौहरी को होती है ठीक वैसी ही परख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीति में है. जिन उम्मीदों को साथ पीएम मोदी ने पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की कमान सौंपी थी, उन उम्मीदों पर सीएम धामी शत-प्रतिशत खरा उतर रहे हैं.
ताजा प्रकरण हम अभी के सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का ले सकते हैं. उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जिस संवेदनशीलता एवं संजीदगी के साथ सीएम धामी ने काम किया वह वाकई में काबिल-ए-तारीफ है. निर्माणाधीन टनल का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार का था, न कि उत्तराखंड सरकार का. इसीलिये प्रधानमंत्री ने इस दुष्कर कार्य को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अपने सबसे खास मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पीएम मोदी द्वारा सौंपी गयी जिम्मेदारी को बड़ी कुशलता के साथ अंजाम तक पहुँचाया. सिल्क्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन में सीएम धामी की उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता एवं उच्च प्रशासनिक कुशलता देखने को मिली. सीएम के रूप में पुष्कर सिंह धामी के समक्ष यह पहली मानव निर्मित आपदा थी और इस दौरान उन्होंने जिस सूझ-बूझ के साथ इस आपदा का सामना किया, उससे उनकी परिपक्वता का पता चलता है. सीएम धामी के पास के सिल्क्यारा सुरंग आपदा के रूप में पीएम मोदी के समक्ष अपनी प्रशासनिक क्षमताओं को साबित करने का अवसर भी था, जिसे उन्होंने बखूबी भुनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सीएम पुष्कर सिंह धामी से रोजाना फ़ोन पर रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी लेते थे और टनल में फंसे श्रमिकों की कुशलता का हाल पूछते थे.
सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने में भले ही 17 दिनों का समय लग गया हो लेकिन सीएम धामी पहले ही दिन से पल-पल की अपडेट ले रहे थे. रेस्क्यू टीम में लगे लोगों के उत्साहवर्धन एवं टनल में फंसे लोगों के हौसलाअफजाई के लिए सीएम धामी ने स्वयं भी उत्तरकाशी में ही अपना डेरा जमा लिया था. उत्तरकाशी के मातली में उन्होंने अपना अस्थायी कैम्प कार्यालय भी बना लिया था, जहाँ से वे शासकीय कार्यों का निपटारा भी करते थे और रेस्क्यू ऑपरेशन पर निगरानी भी रखते थे.
सीएम धामी ने न केवल टनल में फंसे लोगों का ख्याल रखा बल्कि उनके परिजनों का भी भरपूर ख्याल रखा. सीएम धामी ने टनल में फंसे लोगों का हाल जानने के लिए आने वाले उनके परिजनों के आने-जाने एवं रहने-खाने की भी व्यवस्था करवाई.
राज्य एवं राष्ट्र की एजेंसियों के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय टनल विशेषज्ञ एवं एजेंसियां भी सिल्क्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हुई थी, इसके बावजूद भी बार-बार मंजिल के नजदीक पहुंचकर असफलता हाथ लग रही थी. बार-बार की असफलताओं से रेस्क्यू ऑपरेशन टीम का हौंसला टूटने लगा था लेकिन इसके बावजूद भी सीएम धामी ने हार नहीं मानी और स्वयं वहां डटकर रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम तक पहुँचाया. सीएम धामी ने सिल्क्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ग्राउंड जीरों पर डटकर जिस प्रशासनिक कुशलता की मिशाल पेश की है, उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत आज पूरा देश सलाम कर रहा है.
मिशन सिल्क्यारा : सीएम धामी ने पेश की प्रशासनिक कुशलता की मिशाल, पीएम मोदी समेत पूरा देश कर रहा है सलाम
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