सूर्योदय भारत समाचार सेवा : नई दिल्ली, आरआरएसके द्वारा वित्तपोषित किए जाने वाले सुरक्षा पर व्यय के अधिदेश का उल्लेख वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों में किया गया था। सिविल इंजीनियरिंग कार्य, सिग्नलिंग, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल कार्य जैसी प्राथमिकता वाली सुरक्षा परियोजनाओं के अलावा, लोको पायलट आदि जैसे सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण कर्मचारियों की कार्य स्थिति में सुधार लाकर एवं उन्हें प्रशिक्षण देकर परिचालन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मानवीय त्रुटियों की संभावना को कम करने के लिए व्यय का स्पष्ट प्रावधान था। यहाँ तक कि मानव संसाधन विकास के लिए 1861 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई थी।
ट्रेनों के लोको पायलट (चालक) घंटों तक एक साथ ट्रेनों में खड़े रहते हैं। अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद वे अगली ड्यूटी पर जाने से पहले अनिवार्य ब्रेक के लिए रनिंग रूम में जाते हैं।
रनिंग रूम में चालकों के लिए अन्य सुविधाओं के साथ-साथ मैस में क्रॉकरी और फुट मसाजर की व्यवस्था होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चालक अगली ड्यूटी पर जाने से पहले अच्छी तरह से आराम कर सकें। वर्ष 2013 की कैमटेक रिपोर्ट के आधार पर क्रॉकरी, फुट मसाजर, विंटर जैकेट आदि उपलब्ध कराये जा रहे थे, जिसे मार्च, 2014 में स्वीकृत किया गया था और यह वर्ष 2017-18 में आरआरएसके के परिंचालन में आने से बहुत पहले हो चुका था।
सुरक्षा जनशक्ति को प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा ट्रैक प्रबंधन प्रणाली अनुप्रयोग के लिए लैपटॉप और कंप्यूटर भी उपलब्ध कराये गये थे।
जैसा कि देखा जा सकता है कि सूचीबद्ध व्यय रनिंग रूम और प्रशिक्षण स्टाफ आदि के उन्नयन के लिए खरीद हेतु निर्धारित दिशा-निर्देशों पर आधारित हैं, जो सीधे ट्रेन परिचालन की सुरक्षा से संबंधित हैं और इसलिए यह कोई आडंबर नहीं हैं और अधिदेश का हिस्सा हैं।
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