सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ / रामपुर : आजम खान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली इलाके के खाता नगरिया गांव में जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को लेकर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को कथित भला-बुरा कहने पर कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था. खान के इस कथित बयान का वीडियो भी वायरल हुआ था.
उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 153-क (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505-क (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) के तहत दोषी ठहराया गया था.
एफआईआर एक स्थानीय भाजपा नेता द्वारा दायर शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी. निचली अदालत ने उपरोक्त प्रकरण में आज़म खान को 2 वर्ष की सजा अक्टूबर 2022 में सुनाई थी ! मामले में उन्हें हुई सजा के कारण रामपुर सदर विधानसभा से उनकी सदस्य्ता रद्द कर दी गयी थी ! जिसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी.
रामपुर के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अमितवीर सिंह ने रामपुर की एक विशेष सांसद/विधायक अदालत द्वारा सुनाए अक्टूबर 2022 के फैसले को पलट दिया. विशेष अदालत ने आजम खान को दोषी ठहराते हुए तीन साल जेल की सजा सुनाई थी
आज़म खान के वकील जुबैर अहमद ने कहा कि कानूनी टीम आगे की कार्रवाई की योजना बना रही है. उन्होंने कहा, ‘मेरे मुवक्किल को अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया है. उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था. .. सत्र अदालत ने निचली अदालत के आदेश को गलत माना और कहा कि अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित नहीं कर सका.’