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अध्यक्ष चुनाव के लिए कांग्रेस तैयार, कभी गांधी के प्रत्याशी को मिली थी नेताजी से मात, 137 साल में छठी बार मुकाबला शशि थरूर बनाम खड़गे

सूर्योदयभारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : आज होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस ने दावा किया है कि उसके आंतरिक लोकतंत्र की किसी अन्य पार्टी में कोई समानता नहीं है और वह एकजब सारी दुनिया सो रही होगी तो भारत जीवन और आजादी की करवट के साथ उठेगा। 1947 में 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि में नेहरू ने आजादी के सपनों की खुश्बों इन्ही सपनों के साथ बिखेरी थी। शायद उस वक्त देश भी नेहरू के उन सपनों में भावी हिन्दुस्तान की तस्वीर देख रहा था। कांग्रेस ने गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हिन्दुस्तान को देखा है। आजादी की हवा में हिन्दुस्तान को सांस लेते देखा है। संविधान को बनते देखा है। संसद को बैठते देखा। जम्हूरियत को मजबूत होते देखा। खुद को टूटते हुए देखा है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में अपने साथ दलों को जुड़ते हुए भी देखा है। सवा सौ साल से हिन्दुस्तान को देखा है। इंग्लैंड की लेबर पार्टी, जमर्नी की सोशल डेमोक्रेट पार्टी और अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी की बराबरी करते कांग्रेस ने खुद में एक इतिहास समेटा हुआ है। इतिहास 1885 के वक्त का जब मुंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कालेज में कांग्रेस की बुनियाद पड़ी। कांग्रेस में समय समय पर किस तरह बगावत भड़की या मतभेदों के चलते पार्टी में खेमेबाज़ी हुई और नतीजा ये हुआ कि पार्टी किसी न किसी तरह टूटी। लेकिन लगभग 25 वर्षों के बाद कांग्रेस गांधी परिवार से इतर किसी शख्स को पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुनने के लिए तैयार है। जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर 17 अक्टूबर को एक ऐतिहासिक चुनावी मुकाबले में आमने-सामने होंगे।मात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास संगठनात्मक चुनावों के लिए केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण है।

जब सारी दुनिया सो रही होगी तो भारत जीवन और आजादी की करवट के साथ उठेगा। 1947 में 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि में नेहरू ने आजादी के सपनों की खुश्बों इन्ही सपनों के साथ बिखेरी थी। शायद उस वक्त देश भी नेहरू के उन सपनों में भावी हिन्दुस्तान की तस्वीर देख रहा था। कांग्रेस ने गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हिन्दुस्तान को देखा है। आजादी की हवा में हिन्दुस्तान को सांस लेते देखा है। संविधान को बनते देखा है। संसद को बैठते देखा। जम्हूरियत को मजबूत होते देखा। खुद को टूटते हुए देखा है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में अपने साथ दलों को जुड़ते हुए भी देखा है। सवा सौ साल से हिन्दुस्तान को देखा है। इंग्लैंड की लेबर पार्टी, जमर्नी की सोशल डेमोक्रेट पार्टी और अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी की बराबरी करते कांग्रेस ने खुद में एक इतिहास समेटा हुआ है। इतिहास 1885 के वक्त का जब मुंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कालेज में कांग्रेस की बुनियाद पड़ी। कांग्रेस में समय समय पर किस तरह बगावत भड़की या मतभेदों के चलते पार्टी में खेमेबाज़ी हुई और नतीजा ये हुआ कि पार्टी किसी न किसी तरह टूटी। लेकिन लगभग 25 वर्षों के बाद कांग्रेस गांधी परिवार से इतर किसी शख्स को पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुनने के लिए तैयार है। जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आज 17 अक्टूबर को एक ऐतिहासिक चुनावी मुकाबले में आमने-सामने होंगे।

चुनाव कीजानने योग्य बातें

– मतदान आज 17 अक्टूबर को होगा। पार्टी के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा बुधवार 19 अक्टूबर को की जाएगी।

 9,000 से अधिक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रतिनिधि निर्वाचक मंडल गुप्त – मतदान में पार्टी प्रमुख का चुनाव करेंगे।

 दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय और देश भर के 65 से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदान होगा। 

– कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि सभी राज्यों के प्रतिनिधि अपने-अपने मतदान केंद्रों पर आज सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच अपने समर्थन वाले उम्मीदवार के लिए ‘टिक’ चिह्न के साथ मतदान करेंगे।

– जहां पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के एआईसीसी मुख्यालय में मतदान करने की उम्मीद है, वहीं राहुल गांधी कर्नाटक के संगनाकल्लू में भारत जोड़ो यात्रा शिविर में लगभग 40 अन्य यात्रियों के साथ मतदान करेंगे, जो पीसीसी के प्रतिनिधि हैं।

– किसी भी एआईसीसी महासचिव/राज्य प्रभारी, सचिवों और संयुक्त सचिवों को उनके नियत राज्य में वोट डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

– मतदान के बाद सीलबंद बक्सों को दिल्ली ले जाकर एआईसीसी मुख्यालय के स्ट्रांग रूम में रखा जाएगा।

– मिस्त्री ने कहा कि मतगणना शुरू होने से पहले मतपत्रों को मिलाया जाएगा ताकि किसी को पता न चले कि किसी उम्मीदवार को किसी विशेष राज्य से कितने वोट मिले हैं।

– कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव छठी बार हो रहा है।

– पार्टी के शीर्ष पद के लिए आखिरी चुनावी मुकाबला 2000 में हुआ था जब जितेंद्र प्रसाद को सोनिया गांधी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था।

खड़गे बनाम थरूर

खड़गे को गांधी परिवार से उनकी कथित निकटता और वरिष्ठ नेताओं के समर्थन की वजह से मुख्य दावेदार माना जा रहा है। वहीं इससे इतर थरूर ने खुद को बदलाव के उम्मीदवार के रूप में पेश किया है। प्रचार के दौरान भले ही थरूर ने प्रदेश के पार्टी नेताओं के दोहरे व्यवहार को लेकर इशारों-इशारों में नाराजगी जताई है। लेकिन कहा जा रहा है कि गांधी तटस्थ हैं और उनकी तरफ से कोई “आधिकारिक उम्मीदवार” नहीं है। खड़गे के अभियान में कई वरिष्ठ नेताओं, पीसीसी प्रमुखों और शीर्ष नेताओं को उनके द्वारा राज्य मुख्यालय में उनका स्वागत करते देखा गया है, थरूर का ज्यादातर पीसीसी प्रमुखों के साथ युवा पीसीसी प्रतिनिधियों द्वारा स्वागत किया गया है। 

137 साल में अध्यक्षी का छठा चुनाव

कांग्रेस ने दावा किया है कि उसके आंतरिक लोकतंत्र की किसी अन्य पार्टी में कोई समानता नहीं है और वह एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास संगठनात्मक चुनावों के लिए केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण है। हालांकि ज्यादातर मौकों पर एक उम्मीदवार ने निर्विरोध जीत हासिल की है, लेकिन पार्टी के लंबे इतिहास में पांच बार ऐसा हुआ है जब चुनाव की आवश्यकता हुई थी।

1.) 1939 में महात्मा गांधी के उम्मीदवार पी सीतारमैया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बीच एक चुनावी मुकाबला हुआ। सुभाष चन्द्र बोस जीत गए।

2.) 1950 में कांग्रेस ने आजादी के बाद अपना पहला चुनाव आयोजित किया। शीर्ष पद के लिए पुरुषोत्तम दास टंडन और आचार्य कृपलानी का आमना-सामना हुआ। हैरानी की बात यह है कि सरदार वल्लभभाई पटेल के वफादार के रूप में देखे जाने वाले टंडन ने तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू की पसंद को पछाड़ते हुए जीत हासिल की। 

3.) 1977 में लोकसभा चुनावों में हार के मद्देनजर पार्टी अध्यक्ष के रूप में देव कांत बरूआ के इस्तीफे के बाद के ब्रह्मानंद रेड्डी ने एआईसीसी प्रमुख के लिए पार्टी के चुनाव में सिद्धार्थ शंकर रे और करण सिंह को हराया।

4.) अगला चुनाव 20 साल बाद हुआ जब 1997 में सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में जीत हासिल की। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों को छोड़कर, सभी राज्य कांग्रेस इकाइयों ने केसरी का समर्थन किया था। उन्होंने पवार के 882 और पायलट के 354 के मुकाबले 6,224 प्रतिनिधियों के वोट पाकर भारी जीत दर्ज की थी। 

5.) पांचवा मुकाबला 2000 में देखने को मिला जब जितेंद्र प्रसाद ने चुनाव में गांधी परिवार के सदस्य को चुनौती दी थी। प्रसाद को सोनिया गांधी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा, जिन्होंने 7,400 से अधिक वोट हासिल किए, जबकि प्रसाद को कथित तौर पर 94 वोट मिले।

सबसे लंबे समय तक रहने वाले अध्यक्ष

आगामी चुनाव निश्चित रूप से ऐतिहासिक होंगे क्योंकि नए अध्यक्ष सोनिया गांधी की जगह लेंगे, जो सबसे लंबे समय तक पार्टी की अध्यक्ष रही हैं। 2017 से 2019 के बीच के दो वर्षों को छोड़कर जब राहुल गांधी ने पदभार संभाला था 1998 के बाद से वो इस शीर्ष पद पर हैं। स्वतंत्रता के बाद के युग में गांधी परिवार से संबंधित कुल 40 वर्षों से अधिक समय से पार्टी की कमान संभाली है। आजादी के बाद अब तक 16 लोगों ने पार्टी का नेतृत्व किया है, जिनमें से पांच गांधी परिवार के अध्यक्ष रहे हैं।

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