अशाेक यादव, लखनऊ। पूरी दुनिया में आये दिन बीमारी और उसके इलाज को लेकर नई तकनीक सामने आती रहती है। अब ऐसी तकनीकों की जानकारी चिकित्सक को जब चाहेंगे तब उन्हें मिल सकेगी। इसके लिए एसजीपीजीआई में डिजिटल लाइब्रेरी की शुरूआत हो गयी है। बताया जा रहा है कि एसजीपीजीआई प्रदेश का एक मात्र ऐसा संस्थान है, जिसके पास ई-लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध होगी। जिसका सीधी फायदा मरीजों को मिलेगा।
दरअसल, कोई भी चिकित्सक अपने मरीज को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण इलाज देने की भरसक कोशिश करता है,इसके लिए नई जानकारियों की जरूरत भी पड़ती है,इन्हीं पुष्ट जानकारियों में संस्थान की ई-लाइबेरी अहम भूमिका निभायेगी,साथ ही संस्थान में होने वाले शोध को भी दुनिया के सामने लाने में अपना योगदान देगी। इस डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन आज एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो.आर.के.धीमान ने किया है।
एसजीपीजीआई के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर व पुस्तकालय प्रभारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि हम कोई भी इलाज करते हैँ, तो उसमें संपूर्णता की जरूरत होती है। वहीं मरीज भी इस तरह का इलाज चाहता है जो सबसे बेहतर व गुणवत्तापूर्ण हो,साथ ही वह इलाज सर्वमान्य भी होना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि मानक स्थापित करने के लिए जो इलाज अमेरिका व अस्ट्रेलिया में मिलता है, वही इलाज भारत में भी मिले। इसके लिए नई तकनीक व विधा की जानकारी होना बेहद ही जरूरी है और इसके लिए पढ़ना आवश्यक है, ऐसे में यह अवश्यकता पहले के समय में किताबें व जनरल से पूरा हुआ करती थीं,लेकिन अब यह वर्चुअल तरीके से उपलब्ध हो सकेगा,जिससे समय की बचत भी होगी,इसकी शुरूआत आज एसजीपीजीआई में हुयी है।
यहां पर एक ई लाइबेरी शुरू हुयी है, जो उत्तर भारत की एकमात्र लाइबेरी होगी, जिसमें एक हजार जनरल व किताबें उपलब्ध हैं। जिसका अध्ययन कहीं पर भी किया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुये बताया कि यदि मैं ओटी में हूं और मरीज की सर्जरी कर रहा हूं । इस दौरान कोई विषम परिस्थिति आ जाती है, ऐसे में इस ई- लाइब्रेरी का सदुपयोग कई गुना बढ़ जायेगा, मै मोबाइल पर एक क्लिक में उस बीमारी के संबंध में और जानकारी लेकर समस्या का समाधान कर कर सकुंगा । जिसका सीधा लाभ मरीज को मिलेगा।