27 अगस्त को माल एवं सेवा कर काउंसिल की बैठक होनी है। कोरोनाकाल के मौजूदा संकट में केंद्र सरकार राज्य सरकारों को और उधार देने के मूड में नहीं है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर चर्चा होगी कि क्या ऐसे विकल्प निकाले जा सकते हैं जिनसे घाटे की भरपाई की जा सके। इसके अलावा जीएसटी काउंसिल में सोना बेचने पर तीन फीसदी जीएसटी लगाए जाने पर फैसला हो सकता है। साथ ही गोल्ड को ई-वे बिल के दायरे में लाने और टू-व्हीलर्स पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया जा सकता है।
राज्यों के बकाया जीएसटी कंपंसेशन के मामले में केंद्र सरकार मंत्रियों के समूह यानि जीओएम के गठन का प्रस्ताव रख सकता है। सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना संकट के मौजूदा हालात के चलते केंद्र सरकार फिलहाल और उधारी लेने के मूड में नहीं है।
ऐसे में जीओएम के जरिए राज्यों के साथ रायशुमारी कर राज्यों को हो रहे जीएसटी घाटे की भरपाई के नए विकल्प तलाशे जा सकते हैं।
जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में कंपंसेशन के मामले पर तमाम विकल्प तलाशने को लेकर चर्चा हुई थी। इस दौरान अटॉर्नी जनरल की तरफ से भी बताया गया कि आर्थिक मंदी जैसे हालात में केंद्र की तरफ से घाटे की भरपाई का कोई प्रावधन नहीं है।
इसके बाद राज्यों की तरफ से मांग उठने लगी कि केंद्र ही उधार लेकर इसकी भरपाई करे। जीएसटी काउंसिल को ये जीओएम सलाह मश्विरा करके बताएगा कि किस मद के तहत राज्यों को हो रहे जीएसटी कलेक्शन के नुकसान की भरपाई के इंतजाम किए जाएं।
पुराने सोने के आभूषण या सोना बेचने पर मिलने वाली राशि पर आने वाले समय में तीन प्रतिशत जीएसटी चुकाना पड़ सकता है। आगामी जीएसटी परिषद की बैठक में इस पर फैसला हो सकता है। हाल ही में राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) में पुराने सोने और आभूषणों की बिक्री पर तीन प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर लगभग सहमति बन गई है।
अभी हाल में ही मंत्री समूह की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई थी जिसमें कुछ मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इस बैठक में सोने और बहुमूल्य रत्नों के परिवहन के लिए ई-वे बिल के क्रियान्वयन की समीक्षा भी की गई।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, यह फैसला किया गया है कि यदि कोई राज्य सोने के लिए ई-वे बिल का क्रियान्वयन करना चाहता है, तो वह राज्य के भीतर सोने को एक जगह से दूसरी लगह भेजने के मामलों में ऐसा कर सकता है। हालांकि, जीओएम का मानना है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में सोने के परिवहन के लिए ई-वे बिल का क्रियान्वयन व्यावहारिक नहीं होगा।
जीओएम ने यह भी फैसला ले सकता है कि सोने और आभूषण की दुकानों को प्रत्येक खरीद और बिक्री के लिए ई-इनवॉयस (ई-बिल) निकालना होगा। यह कदम टैक्स चोरी रोकने के लिए उठाया जा सकता है।
अभी भी छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में कई जगह सोने की बिक्री के बाद दुकानदार कच्चा बिल देते हैं। यह पूरी प्रक्रिया कर चोरी रोकने और काला धन खपाने के लिए होती है। अब इस पर रोक लगाने के लिए ई-बिल निकालना अनिवार्य करने की तैयारी है। इस पर जीएसटी की बैठक में चर्चा होगी।
आने वाले दिनों में टू-व्हीलर्स सस्ते हो सकते हैं। सरकार इस पर लगने वाली मौजूदा जीएसटी के सबसे ऊंचे स्लैब 28 फीसदी को कम करने पर विचार कर रही है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि टू-व्हीलर्स न कभी लग्जरी रहे और न ही अपराध की चीजें, इसलिए यह दरें रिवीजन के योग्य हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि टू-व्हीलर्स पर जीएसटी कम करने को लेकर फैसला लिया जा सकता है। ऑटो मोबाइल्स सेक्टर भी टू-व्हीलर्स पर टैक्स घटाने की मांग कर रहे हैं।
हैंड सैनिटाइजर पर 18 फीसदी के बजाए 12 फीसदी जीएसटी लगाने की मांग कारोबारी कर रहे हैं। हालांकि, इस पर राहत मिलने के आसार कम हैं। तमाम सैनिटाइजर मैनुफैक्चरर्स अलग अलग फोरम से लगातार वित्तमंत्री से इस पर 18 फीसदी के बजाय 12 फीसदी जीएसटी लगाए जाने की मांग कर रहे हैं।