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सरकार आंदोलनरत किसानों को लेकर संवेदनशील, किसानों का अहित नहीं होने देंगे: राजनाथ

अशाेक यादव, लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार आंदोलनरत किसानों को लेकर संवेदनशील है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसी भी सूरत में किसानों का अहित नहीं होने देंगे। ‘किसान दिवस’ के अवसर पर किए गए सिलसिलेवार ट्वीट में राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की और किसानों का अभिनंदन करते हुए कहा कि उन्होंने देश को खाद्य सुरक्षा का कवच प्रदान किया है।

भारत में 23 दिसंबर ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। भारत सरकार ने वर्ष 2001 में चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।

राजनाथ सिंह ने कहा, ”कृषि क़ानूनों को लेकर कुछ किसान आंदोलनरत हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता के साथ बात कर रही है। मैं आशा करता हूँ कि वे जल्द ही अपने आंदोलन को वापिस ले लेंगे।” चौधरी चरण सिंह को देश के सबसे सम्मानित किसान नेताओं में अग्रणी बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा वह आजीवन किसानों की समस्याओं को आवाज देते रहे और उनके कल्याण के लिए काम करते रहे।

उन्होंने कहा, ”देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। चौधरी चरण सिंह चाहते थे कि देश के किसानों की आमदनी बढ़े, उनको फसलों का लाभकारी मूल्य मिले और किसानों का मान सम्मान सुरक्षित रहे।” राजनाथ सिंह ने कहा, ”हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनकी प्रेरणा से ही किसानों के हित में अनेक कदम उठा रहे हैं। किसानों का वे किसी सूरत में अहित नहीं होने देंगे।”

उल्लेखनीय है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग को लेकर किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है।

वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे। सरकार ने बार-बार दोहराया है कि एमएसपी और मंडी व्यवस्था कायम रहेगी और उसने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। अब तक सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई वार्ता विफल रही है।

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