कोरोना महामारी के चलते आर्थिक बदहाली से जूझ रहे आम उपभोक्ताओं पर अब महंगाई की भी मार पड़ रही है। खासतौर से सब्जियों की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं। सब्जियों में सबसे ज्यादा खपत होने वाला आलू के दाम बीते दो महीने में दोगुने हो गए हैं।
कोरोना काल में होटल, रेस्तरां, कैंटीन और ढाबों में सब्जियों की खपत कम होने के बावजूद इनकी कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। कारोबारी बताते हैं कि बरसात में हरी सब्जियों का उत्पादन कम हो जाने की वजह से आवक कम हो रही है, जबकि आलू के साथ यह बात लागू नहीं होती, क्योंकि इसकी ज्यादातर आवक इस समय कोल्ड स्टोरेज से हो रही है।
साथ ही, सरकारी आंकड़े बताते हैं कि फसल वर्ष 2019-20 में आलू का उत्पादन बीते वर्ष से ज्यादा हुआ है। देश में आलू का उत्पादन ज्यादातर रबी सीजन में होता है, लेकिन कुछ इलाकों में खरीफ जायद सीजन में आलू की पैदावार होती है। इसलिए कोल्ड स्टोरेज के अलावा ताजा आलू की आवक बाजार में सालभर बनी रहती है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान देश में आलू का उत्पादन 513 लाख टन हुआ, जबकि एक साल पहले वर्ष 2018-19 में देश में 501.90 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था।
एशिया में फलों और सब्जियों की सबसे बड़ी मंडी दिल्ली स्थित आजादपुर मंडी में गुरुवार को आलू का थोक भाव 12 रुपये से 44 रुपये प्रति किलो था जो दो महीने पहले 13 जून को आठ रुपये से 21 रुपये प्रति किलो था। इस तरह महज दो महीने में आलू का अधिकतम थोक भाव दोगुना से भी ज्यादा हो गया है और निचला भाव भी डेढ़गुना बढ़ गया है।
आलू का खुदरा दाम भी दोगुना हो गया है। दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में आलू का खुदरा भाव जून में जहां 20 से 25 रुपये प्रति किलो था, वहीं शुक्रवार को आलू 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा था। यही नहीं, थोक मंडी में जो आलू 44 रुपये प्रति किलो था, उसका खुदरा भाव 60 रुपये प्रति किलो से भी ऊपर बताया जा रहा है।