अशाेक यादव, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विलुप्त होती मिट्टी की महत्ता बताते हुए वाल्मीकि रामायण का श्लोक ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी‘ का जिक्र किया। कहा कि धरती हमारी माता है और हर एक को मिट्टी बचाओं अभियान से जुड़ना चाहिए।
राजधानी लखनऊ स्थित सीएमएस के वर्ल्ड कन्वेशन सेंटर में मंगलवार को ईशा फाउंडेशन द्वारा आयोजित सदगुरु के “मिट्टी बचाओ अभियान” कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जैविक उत्पादों के गुणवत्ता परीक्षण के लिए मंडल स्तर पर जांच लैब स्थापित कर रही है।
यही नहीं, सरकार जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग के लिए भी किसानों काे सहयोग करेगी। पेस्टीसाइड आदि विभिन्न केमिकल के दुष्प्रभावों से मिट्टी को बचाने के लिए प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर रही है। हर प्रदेशवासी को इस कार्यक्रम से जुड़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को फ्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड बांटे थे। भाजपा की सरकार में प्रदेश की छोटी-बड़ी 60 नदियों को पुनर्जीवित किया गया। कानपुर में जब प्रधानमंत्री आए थे, तब नमामि गंगे अभियान चलाया गया था। हमारी सरकार से पहले कानपुर के जाजमऊ में बहुत सीवर गिरता था। गंगा नदी में जलीय जीव मर रहे थे।
जाजमऊ जहां पहले सीवर पॉइंट हुआ करता था वहां इस समय सेल्फी पॉवाइंट है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की भूमि सबसे उर्वरा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले सालों में 100 करोड़ पौधे लगाए गए। इस साल भी वनमहोत्सव पर 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है।
इससे पहले कार्यक्रम में मिट्टी बचाओं अभियान के प्रणेता सद्गुरू ने नष्ट होती मिट्टी पर चिंता जाहिर की। कहा कि हम अभी से अपनी मिट्टी बचाने के प्रति सचेत न हुए तो आने वाली पीढ़ी के लिए क्या छोड़ जाएंगे। दूसरे सारे पर्यावरण के मुद्दे तभी प्रासंगिक हैं जब मिट्टी जीवित हों।
सद्गुरु ने मिट्टी-विलोपन को एक अलग मुद्दे की तरह लेने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सब कुछ मिट्टी से ही और मरने के बाद मिट्टी में ही मिल जाना है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी के सामने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र का दायरा अधिक है। इस प्रदेश को मिट्टी बचाओ को नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में प्रदेश विकास कर रहा है।