राहुल यादव, लखनऊ।
अखिलेश यादव ने कहा है कि इस साल कोरोना वायरस के संक्रमण काल में आज एक अलग तरह का ही श्रमिक दिवस मना रहे हैं।
देश के कई राज्यों में घरों से दूर मजदूर काम और पैसे के लिए परेशान है।
भविष्य में बढ़ती बेकारी का संकट अलग भयाक्रांत कर रहा है।
इस वजह से किसी शुभकामना या बधाई देने का अवसर तो नहीं है परन्तु भटके हुए श्रमिक अपनों के पास घर सुरक्षित पहुंच जाएं, ये कामना तो हम कर ही सकते हैं।
यह कैसी विडम्बना है कि मजदूर बंधु इन दिनों रोजी-रोटी से वंचित तिल-तिल घुट रहे हैं।
श्रमिकों के थोक वोट बटोरने वालों को इनके दुःख दर्द के प्रति कितनी संवेदना है।
इनके लिए क्या सरकारी इंतजाम है?
संकट में फंसे इन श्रमिक बंधुओं के साथ समाजवादी आज भी खड़े हैं और हमेशा उनके साथ रहेंगे।
यह खब़र तो बहुत दुःखदायी है कि अपने प्रदेश के श्रमिकों के साथ भाजपा सरकार गैरों जैसा व्यवहार कर रही है।
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भाजपा सरकार कागजों पर ही श्रमिकों की मदद का ढोंग कर रही है।
दूसरे राज्यों से लाखों श्रमिक बसों में कैसे आ पायेंगे?
अच्छा होता राज्य सरकार केन्द्र से रेलवे की ट्रेन की मांग करे।
जिससे चेन्नई सहित अन्य दूर दराज के राज्यों से श्रमिकों को सकुशल लाया जाना सम्भव हो सकेगा।
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सरकारी अव्यवस्था और अदूरदर्शिता का हाल यह है कि सरकार के पास राज्य के अंदर और बाहर के प्रदेशों में काम करने वालों की सही संख्या क्या है।
अब तक लाखों श्रमिक आ चुके हैं फिर भी उतनी ही श्रमिक दूसरे राज्यों में फंसे हैं.
विभिन्न राज्यों में जो श्रमिक जहां रूक गया है वहां से वह अपने गृह जनपद नहीं जा पा रहे हैं।
भूख और आशंकाओं से घिरा श्रमिक की जिंदगी बदहाल है।
इनके अलावा विभिन्न राज्यों में तीर्थयात्री और छात्र भी हैं जिनको लाने में कई राज्यों से होकर आना होगा।
जब राज्य सरकार के पास प्रवासी और राज्य के श्रमिकों का सही आंकड़ा ही नहीं है तो वह रोजगार कैसे देगी?
उनके रहने-खाने की व्यवस्था भी लम्बे समय तक कैसे होगी?
कोरोना संक्रमण काल में रोजी-रोटी के सवाल पर भी सार्थक विचार विमर्श हो सके इसीलिए सपा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही है।
भाजपा का रवैया यह जताने का है कि वही सब कुछ कर रही है।
इस संकटकाल से उबरने में जनता की भागीदारी नहीं हो रही है, विपक्ष का सहयोग नहीं लिया जा रहा है।
सरकार दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आमंत्रित कर भविष्य की रणनीति तय करें जिससे महामारी का कारगर मुकाबला हो सके।