नई दिल्ली। कांग्रेस नेता एवं सांसद कार्ति चिदंबरम 2011 में 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी कराने से संबंधित एक कथित घोटाले की जांच में सहयोग के लिए बृहस्पतिवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मुख्यालय पहुंचे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। जब यह कथित घोटाला हुआ था, उस समय कार्ति के पिता पी चिदंबरम गृह मंत्री थे।
उच्चतम न्यायालय और सीबीआई की विशेष अदालत की अनुमति से ब्रिटेन और यूरोप की यात्रा पर गए कार्ति को विशेष अदालत के आदेश के अनुसार, वापस आने के 16 घंटे के भीतर सीबीआई जांच में सहयोग के लिए पेश होना था। सांसद बुधवार को यात्रा से लौटे। वह मामले से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देने के लिए बृहस्पतिवार की सुबह सीबीआई कार्यालय पहुंचे। कार्ति ने सीबीआई मुख्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उनके खिलाफ यह मामला ‘‘फर्जी’’ है।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने किसी चीनी नागरिक को वीजा दिलाने में कोई मदद नहीं की। सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि यह मामला चीनी कर्मियों का वीजा पुन: जारी कराने के लिए कार्ति चिदंबरम और उनके करीबी एस. भास्कररमन को वेदांता समूह की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा 50 लाख रुपये की रिश्वत दिए जाने के आरोपों से संबंधित है।
टीएसपीएल पंजाब में एक बिजली संयंत्र स्थापित कर रही थी। एजेंसी ने इस मामले में भास्कररमन को पहले ही हिरासत में ले लिया है। सीबीआई का कहना है कि विद्युत परियोजना स्थापित करने का कार्य एक चीनी कंपनी द्वारा किया जा रहा था और निर्माण कार्य निर्धारित समय से पीछे चल रहा था।
प्राथमिकी के अनुसार, टीएसपीएल का एक कार्यकारी 263 चीनी श्रमिकों के लिए परियोजना वीजा फिर से जारी करवाना चाह रहा था, जिसके लिए कथित रूप से 50 लाख रुपये की रिश्वत दी गयी थी। कार्ति चिदंबरम ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा, ‘‘अगर यह उत्पीड़न नहीं है, व्यक्ति विशेष के खिलाफ कार्रवाई नहीं है, तो क्या है ?’’