भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल के शो ओपन नेट्स विद मयंक में विराट कोहली ने मैदान के अंदर और बाहर की कई सारी चीजों पर बात की। इस शो के दूसेर वीडियो में, जो बीसीसीआई ने बीसीसीआई डॉट टीवी पर अपलोड किया है, मयंक ने कोहली से कप्तान द्वारा सलामी बल्लेबाज को 2018 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चुनने के बारे में पूछा।
उन्होंने कहा, “पहला मौका जब उनके सामने आया तो उन्होंने कहा कि मैं करूंगा। यह मेरे लिए किसी और चीज से ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि मैंने भारत के लिए अपनी पहली सीरीज में ओपनिंग की थी और इससे पहले मैंने कभी ओपनिंग नहीं की थी। मैंने मौकों को हां कहा और चीजें मेरी बेहतरी के लिए हुईं।”
कोहली ने मजाक में कहा, “अबे तूने मुझे अपनी तारीफ करने के लिए बुलाया है क्या यहां पे। शो पे बुलाऊंगा और अपनी तारीफ करवाऊंगा।” कोहली ने कहा, “मेरे लिए सबसे बड़ी बात यह होती है कि एक इंसान का खेल के प्रति रवैया क्या होता है। उदाहरण के तौर पर जब तुमने ओपनिग की थी, हमने तुम्हारे साथ में हनुमा विहारी को भी ओपनिंग के लिए भेजा था.. हमने विहारी को देखा था कि वह कैसे खेलते हैं। वह गेंद पर आगे आते हैं, वह बहादुर है और उन्हें अपने ऊपर भरोसा रहता है।”
उन्होंने कहा, “इसलिए जो खिलाड़ी मुश्किल स्थिति में जाता है वह या तो अपना सिर ऊंचा करके आएगा या कुछ सीख के आएगा। हार नहीं होती।” कोहली ने कहा, “मैंने तुम्हें रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर में खेलते हुए देखा था और मैं जानता था कि तुम अंतर्राष्ट्रीय गेंदबाजों को खेल सकते हो। तुम प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी लंबे समय से अच्छा कर रहे थे।” मंयक ने कप्तान से 2011 विश्व कप के उस मशहूर फोटो के बारे में पूछा, जिसमें वह ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद सचिन तेंदुलकर को उठा रहे हैं।
कोहली ने कहा, “सबसे पहली भावना तो कतृज्ञता की थी कि हम विश्व कप जीत सके। हम सभी की भावनाएं पाजी पर केंद्रित थीं, क्योंकि हम जानते थे कि यह उनका विश्व कप जीतने का आखिरी मौका है।” उन्होंने कहा, “उन्होंने इतने वर्षो इस देश के लिए जो किया, जितने मैच जीते, उससे हमें प्ररेणा मिलती है।” कोहली ने कहा, “वो हमारी तरफ से उन्हें तोहफा था। इससे पहले, वह सिर्फ तोहफे दे रहे थे, लेकिन उस समय यह मकसद पूरा होने जैसा था।”