अशाेक यादव, लखनऊ। मीटरों के भार जंप करने और रीडिंग भागने के मामले में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने पावरटेक कंपनी के बिजली मीटरों पर शिकंजा कस दिया है। एमडी दक्षिणांचल सौम्या अग्रवाल ने आगामी आदेशों तक मीटरों के लगाए जाने पर रोक लगा दी है। रविवार को यह आदेश एमडी की ओर से दिए गए।
मीटरों के गड़बड़ी की बात मीडिया में आने के बाद पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन हरकत में आ गया। शक्ति भवन से मीटर पर रोक लगाने के आदेश दिए गए। जिसके बाद मामले की जांच भी शुरू करा दी गई है।
बता दें कि उपभोक्ताओं को बिजली देने के लिए सरकार द्वारा सौभाग्य योजना चलाई जा रही है। इसके तहत खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के घर मुफ्त में बिजली मीटर लगाए जा रहे हैं। मीटर लगने के बाद से ही उनमें तकनीकी खामियों की शिकायत आने लगी थी, लेकिन विभागीय अधिकारी नजरअंदाज करते रहे। सिलसिला बढ़ा और अप्रत्याशित रूप से रीडिंग और भार जंप करने के कई मामले सामने आ गए।
मीटरों में मिल रही खामियों को राज्य उपभोक्ता परिषद की ओर से उठाया गया। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक जब भी कोई नई परियोजना या सॉफ्टवेयर किसी भी योजना के लिए लागू किया जाता है तो सबसे पहले यूजर एक्सेप्टेंस टेस्ट (यूएटी) कई चरणों में पूरे सिस्टम में कराने की व्यवस्था है।
इससे एक छोर से दूसरे छोर तक सभी घटकों का परीक्षण किया जाता है। उसके बाद तय होता है कि किसी सिस्टम को लागू किया जाए या नहीं। वर्मा का आरोप है कि पहले अगर यूएटी किया गया होता तो आज न तो भार जंपिंग का मामला निकलता, न रीडिंग जंपिंग और न ही जन्माष्टमी के दिन बत्ती गुल का मामला सामने आता।
राज्य उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि पिछले पांच वर्षो में जो भी मीटर खरीदे गए हैं या लगवाए गए हैं, उनकी तत्काल सीबीआइ जांच कराई जाए। इससे बड़े रैकेट का खुलासा हो सकता है।
पावरटेक की तरह सौभाग्य योजना में लगे अन्य कंपनियों के मीटर उतरवाकर उनकी जांच होनी चाहिए। कहा गया है कि पिछले तीन वर्ष में प्रदेश में लगभग 2000 हजार करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक मीटर व लगभग 500 करोड़ रुपये के 12 लाख स्मार्ट मीटर व एमडीएम की जांच होनी चाहिए।